परिवारवाद से मुक्त होगी कांग्रेस, ‘एक परिवार, एक टिकट’ की व्यवस्था लागू करेगी पार्टी…
कांग्रेस का कायाकल्प करने के मकसद से शुक्रवार से उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर आरंभ हुआ
desk : कांग्रेस का कायाकल्प करने के मकसद से शुक्रवार से उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर आरंभ हुआ. वहीं, ‘परिवारवाद’ के आरोपों का सामना करने वाली कांग्रेस अब ‘एक परिवार, एक टिकट’ व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है। हालांकि इस प्रस्ताव को सहमति मिलने की स्थिति में इसके साथ यह प्रावधान भी होगा कि एक परिवार के किसी दूसरे सदस्य को टिकट तभी मिलेगा जब वह पार्टी के लिए कम से कम 5 साल तक काम करे। पार्टी महासचिव अजय माकन के अनुसार, चिंतन शिविर में चर्चा के लिए ‘एक परिवार, एक टिकट’ का प्रस्ताव आया है।
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उन्होंने ‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ के आरंभ होने से पहले कहा कि कांग्रेस ‘बड़े बदलाव’ की ओर देख रही है और इसके तहत संगठन की विभिन्न समितियों में युवाओं के लिए 50 प्रतिशत जगह आरक्षित करने, स्थानीय स्तर पर मंडल समितियां बनाने, पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा के लिए एक आकलन इकाई बनाने और एक पद पर किसी व्यक्ति के लगातार पांच साल से ज्यादा नहीं रहने की व्यवस्था तय करने के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा।
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उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘इस चिंतन शिविर के बाद संगठन में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। हमारा मानना है कि बदलते समय के साथ संगठन का ढांचा नहीं बदला है। अभी भी काम का ढांचा पुराना है और इसमें आमूलचूल बदलाव नहीं हुआ है।’ चिंतन शिविर के लिए बनी संगठन संबंधी समन्वय समिति के सदस्य माकन के अनुसार, ‘‘ब्लॉक और पोलिंग बूथ के बीच मंडल समितियां बनाने का प्रस्ताव आया है। यह सुझाव आया है कि हर ब्लॉक समिति के तहत तीन से पांच मंडल समितियां बननी चाहिए। हर मंडल समिति के तहत 15 से 20 बूथ आएंगे। इस विषय पर शिविर में चर्चा होगी।” उन्होंने बताया, ‘‘एक परिवार, एक टिकट पर चर्चा हुई है। इस पर सहमति बन रही है। इसमें यह प्रावधान भी होगा कि परिवार के दूसरे व्यक्ति को टिकट पाने के लिए कम से कम पांच साल तक पार्टी के लिए काम करना होगा। ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी पुराने नेता का बेटा एकाएक चुनाव लड़ ले। अगर किसी को चुनाव लड़ना है तो उसे संगठन के लिए अपने पांच साल देने होंगे।” कांग्रेस के ‘एक परिवार, एक टिकट’ के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने की स्थिति में गांधी-नेहरू परिवार से राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी के अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ रहेगा क्योंकि प्रियंका 2019 के शुरु में सक्रिय राजनीति में उतरी थीं। इसके साथ ही, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पुत्र वैभव गहलोत के एक साथ चुनाव लड़ने में दिक्कत नहीं होगी क्योंकि वैभव पिछले कई वर्षों से पार्टी संगठन से जुड़े हुए हैं।