वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी बेनियाबाग मैदान जिसने देश को कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए जिन्होंने देश विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन इस ऐतिहासिक मैदान की स्थिति देखकर ये बात तो साफ हो जाता है कि आखिर विश्व पटल पर भारत की स्थिति फुटबॉल के खेल में दयनीय क्यों है। क्यों आज राष्ट्रीय खेल हॉकी का स्तर बेहद खराब है। जिस तरह से लोगो सिर्फ क्रिकेट को बढ़ावा दे रहे है उसी तरह से फुटबॉल और उसके मैदान के ओर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं.
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ऐसे में अगर बात की जाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की तो यहां प्राचीनतम नगरी को स्मार्ट सिटी बनाने का काम इतनी तेज चल रहा है की उसमे एक अच्छे खासे मैदान को खत्म कर यहां खेलने वाले खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रश्न वाचक चिन्ह लगाया जा रहा है। अब सवाल ये उठता है कि पूर्वांचल के फुटबॉल का मक्का कहे जाने वाले फुटबॉल ग्राउंड की बलि चढ़ाकर बनारस कैसे बनेगा स्मार्ट सिटी।
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बेनियाबाग ग्राउंड में बनारस स्पोर्टिंग क्लब 1936 से फुटबॉल टूर्नामेंट कराता आ रहा है इस क्लब के माध्यम से छोटी अवस्था से ही बच्चे फुटबॉल खेलना सिख जाते हैं और बड़े होते होते फुटबॉल के जादूगर बन जाते हैं। इतिहास रहा कि राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी टीम में बनारस स्पोर्टिंग क्लब के दो तिहाई खिलाड़ी रहे हैं। बेनियाबाग की बनारस स्पोर्टिंग क्लब ने वाराणसी के सम्पूर्णानंद स्टेडियम, रेलवे , डीएलडब्लू और बीएचयू के टीमों को कई बार मात दिया है।
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यही नहीं कलकत्ता के मोहन बागान व मोहमडन क्लब के बाद देश मे चौथे नम्बर पर बनारस स्पोर्टिंग क्लब हुआ करती थी। जब यहां फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन होता था तो बनारस की सड़कों पर सन्नाटा छा जाया करता था। यहां भारत रत्न उस्ताद बोस्मिल्लाह खान के नाम पर टूर्नामेंट हुआ करते थे यही नही दिग्गज पूर्व खिलाड़ियों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके नाम पर टूर्नामेंट का नाम रखा जाता था।