जिस आजादी से हम सांस ले रहे हैं, इसे पाने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। 23 जुलाई को क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर हम उनकी पिस्टल के बारे में बताते हैं। कभी लखनऊ के राज्य संग्रहालय की शोभा बढ़ाने वाली यह पिस्टल वर्तमान में प्रयागराज के संग्रहालय में मौजूद है। लखनऊ राज्य संग्रहालय के निदेशक डा.एके सिंह ने बताया कि आजाद की पिस्टल से फायर होने के बाद धुंआ नहीं निकलता था। इसकी वजह से अंग्रेज पेड़ों के पीछे से पता नहीं लगा पाते थे कि गोलीआजाद पेड़ों की आड़ से लक्ष्य कर गोली चलाते थे। पिस्टल से धुआं न निकलने से अंग्रेज अफसर और सिपाही नहीं जान पाते थे कि वह कब किस पेड़ के पीछे हैं। आजाद ने अपनी इस पिस्टल को बमतुल बुखारा नाम दिया था। 1976 में लखनऊ से प्रयागराज संग्रहालय में ले जाकर रखा गया।
चंद्रशेखर आजाद के परिवार के अमित आजाद ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद के बारे में लाेग सबकुछ जानना चाहते हैं। हम लोग ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर कानपुर रोड के हिंदनगर में उनकी प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव है। भव्य प्रतिमा लगाने के लिए सरकार ने जमीन चिन्हित कर दी है। एक बार फिर उनकी जयंती पर मुख्यमंत्री से मिलेंगे और शिलान्यास का समय मांगेगे।