वीरों की दहाड़ होगी क्षत्रियों की ललकार होगी,
आ रहा हैं वक्त जब फिर क्षत्रियों की भरमार होगी।
लत क्षत्रियों की लगी हैं, तो नशा अब सरे आम होगा,
हर लम्हा मेरे जीवन का सिर्फ, क्षत्रिय के नाम होगा।
हमसे उम्मीद मत रखना की हम कुछ और लिखेंगे,
हम क्षत्रिय हैं साहब, जब भी लिखेंगे जय मां भवानी,
जय राजपूताना, जय श्री राम लिखेंगे।
जब उठेगी क्षत्रियों की तलवार, कोहराम ही मच जाएगा,
इतिहास की तुम चिंता ना करो, पूरा भुगोल ही बदल जाएगा।
जब जब उठेगी ऊंगली क्षत्रिय पे, खून मेरा खौलेगा,
जब जब धङकेगा हृदय मेरा, जय भवानी बोलेगा ॥
खून अपना गरम हैं, क्योंकि क्षत्रिय अपना धर्म हैं।
जो क्षत्रिय मां भवानी और महाराणा प्रताप का नहीं, वह किसी काम का नहीं।
चीर कर बहा दो लहू दुश्मन के सीने का,
यही तो मजा हैं, क्षत्रिय होकर जीने का।
कट्टर क्षत्रिय शेर हूँ, बड़ा ही दिलेर हूँ,
प्यार दिखायेगा तो जान वार दूंगा, गद्दारी दिखायेगा तो चीरफाड दूंगा।
मुश्किल में हैं क्षत्रिय, अब जल्लाद बनना होगा,
तुझे महाराणा प्रताप और मुझे राम बनना ही होगा।
डरते वो लोग हैं, जो मरने के बाद भी जमीन में मुंह छुपा लेते हैं,
अरे हम तो क्षत्रिय हैं, जो मरने के बाद भी आग से खेल जाते हैं।
अगर हुआ मेरे धर्म पर घात तो मैं प्रतिघात करूँगा,
मैं क्षत्रिय हूँ, क्षत्रियों की ही बात करूँगा। जय श्री राम
जलते हैं तो जलने दो, बुझना मेरा काम नही,
जलाकर राख न कर दु, तो क्षत्रिय मेरा नाम नही।
चीर के बहा दो लहू, दुश्मन के सीने का,
यही तो अंदाज हैं, क्षत्रियों के जीने का।
“घमंड की बीमारी” शराब जैसी हैं साहब,
खुद को छोड़कर सबको पता चलता हैं कि इसको चढ़ गयी हैं।
धूल चटा दो गिद्धों को, जो घर में घुसकर घात करें,
और जीभ काट लो उन कुत्तों की जो क्षत्रिय के खिलाफ बात करें।
क्षत्रिय होना भाग्य हैं, पर कट्टर क्षत्रिय होना सौभाग्य हैं।
तुम जितना मुझसे टकराओगे, मैं उतना कट्टर क्षत्रिय बनता जाऊंगा ।।
।। जय मां भवानी।।
।। जय राजपुताना।।