नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण पर चल रही सुनवाई अब खत्म हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए मराठा आरक्षण को खारिज करते हुए कहा कि है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। कोर्ट ने इंदिरा साहनी (1992) केस में कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर समीक्षा से भी इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को खत्म करते हुए कहा कि यह 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का हनन है। इसके साथ ही अदालत ने 2018 के राज्य सरकार के कानून को भी खारिज कर दिया है।
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने 50 फीसदी सीमा से बाहर जाते हुए मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का ऐलान किया था। इस बाबत साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में कई मामलों को दायर किया गया था, जिसके बाद आज कोर्ट द्वारा यह फैसला सुनाया गया है।