DESK : सेना भर्ती की नई योजना अग्निपथ के खिलाफ देश के युवा सडकों पर बवाल काट रहे हैं. बिहार सहित पुरे देश में पिछले तीन दिनों से बड़े स्तर पर हंगामा और उपद्रव हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा ट्रेनों को निशाना बनाया गया है. अग्निपथ को लेकर सबसे बड़ी आशंका युवाओं के भविष्य को लेकर है. जब 4 साल के बाद सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त युवा सैन्य बलों से सेवामुक्त होंगे तब उनका भविष्य क्या होगा यह एक बड़ा सवाल हुआ है. ऐसे में बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने बिहार पुलिस के एक प्रयोग सैप का जिक्र करते हुए इशारों में बड़ी बात कही है.
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अभयानंद ने अग्निपथ को लेकर कुछ नहीं कहा है लेकिन उन्होंने बताया है कि कैसे जब वे एडीजी मुख्यालय में थे तब उनकी पहल पर बिहार में सैप का गठन हुआ. सैप में सेवानिवृत सैन्य जवानों को लिया जाता था. बिहार पुलिस में सैप के गठन ने एक क्रांतिकारी बदलाव सुनिश्चित किया. अभयानंद ने इशारों में बताया है कि किस प्रकार अग्निपथ से सेवामुक्त जवानों का भी उपयोग किया जा सकता है.
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उन्होंने सोशल मीडिया पर SAP की एक अप्रत्यक्ष उपयोगिता शीर्षक से लिखा है कि सेना से 45 वर्ष के सेवानिवृत्त जवान को बिहार पुलिस का अंग बनाकर उग्रवादियों से लोहा लेने की सोच 2006 में मेरे दिमाग में तब आई जब मैं ADG मुख्यालय था. सरकार के प्रमुख को यह बात अच्छी लगी और त्वरित गति से इसका क्रियान्वयन हो गया, बिना लालफीताशाही में अटके हुए.
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उनके अनुसार, इस फ़ोर्स के दुगने फायदे हुए -1. बिहार पुलिस को एक अत्यंत प्रशिक्षित बल मिला जो किसी भी संगठित आधुनिक शस्त्रधारी गिरोह से जमकर लोहा ले सकता था. उनकी पुलिस में नियुक्ति के कारण इस प्रकार के गिरोह को इनकी सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता था. SAP के गठन के पूर्व, इस प्रकार के सेना से प्रशिक्षित व्यक्तियों को गिरोह पैसे के बल पर अपनी संस्था में प्रशिक्षण देने के लिए रख लेते थे. यहाँ तक कि पुलिस से निकाले गए लोग भी इन संगठित गिरोहों के सदस्य बन जाते थे.
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SAP बनने के बाद इन गिरोहों की शक्ति दो तरीके से क्षीण हुई – एक प्रत्यक्ष, दूसरी अप्रत्यक्ष. उन्होंने कहा कि यह एक सीख है जो सरकारों के लिए निर्णय लेने में मददगार सिद्ध हो सकती है. इस प्रकार उन्होंने इशारों में साफ कर दिया कि अग्निवीर योजना से जवानों का भविष्य किन दिशाओं में जा सकता है.