DESK : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। कल जिस तरह से शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने बगावती रूख अपनाते हुए अपने साथ पार्टी के लगभग दो तिहाई विधायकों को लेकर सूरत रवाना हुई और साफ कर दिया कि उद्धव सरकार को मौजूदा गठबंधन खत्म करना होगा। उसके बाद अब महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में आ गई है। जिसके बाद अब आज उद्धव ठाकरे ने बैठक बुलाई है। जिसमें मौजूदा स्थिति पर चर्चा की जाएगी।
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इससे पहले कल रात से महाराष्ट्र की सियासी हलचल तेज थी। इस सबके सूरत पहुंचे एकनाथ शिंदे सहित सभी विधायकों को रातों रात गुजरात से हटाकर असम शिफ्ट कर दिया गया है। एकनाथ शिंदे के साथ 41 बागी विधायक स्पेशल फ्लाइट से बुधवार सुबह सूरत से गुवाहाटी पहुंच गए। भाजपा के नेता उन्हें रिसीव करने पहुंचे। एयरपोर्ट के बाहर तीन बसों से उन्हें कहां ले जाया जाएगा। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन उनकी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
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इससे पहले, मंगलवार की देर रात सूरत एयरपोर्ट पर एकनाथ शिंदे ने कहा था कि अभी हमने बालासाहेब ठाकरे का हिंदुत्व छोड़ा नहीं है। मैं चाहता हूं कि उद्धव ठाकरे, भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएं। मेरे साथ कुल 41 विधायक है, जिसमें 34 शिवसेना और 7 विधायक निर्दलीय हैं।
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महाराष्ट्र में जो राजनीतिक स्थिति है, उसमें शिवसेना संजय राउत की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। बताया जा रहा है किविद्रोह से 2 दिन पहले, यानी शुक्रवार को एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे के बीच मुंबई के पवई के एक होटल में नोकझोंक हुई थी। इस दौरान संजय राउत भी वहां मौजूद थे। दोनों के बीच विधान परिषद चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए अतिरिक्त वोटों का उपयोग करने को लेकर बहस हुई थी, जिसका शिंदे ने विरोध किया था। शिंदे के विरोध की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवारों में से एक, भाई जगताप को उनकी जरूरत के वोट मिले, लेकिन दूसरे उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे निर्वाचित नहीं हुए।
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इसके साथ शिंदे की नाराजगी संजय राउत को लेकर भी बतायी जा रही है। एकनाथ शिंदे शिवसेना में उद्धव ठाकरे के बाद नंबर दो की हैसियत रखते थे। उन्हें सीएम पद का सबसे बड़ा दावेदार माना गया था। सिर्फ नाम की घोषणा बाकी थी। लेकिन ऐन समय पर संजय राउत ने बड़ा दांव चल दिया और उद्धव ठाकरे का नाम आगे कर दिया। जिसके बाद से ही उद्वव ठाकरे के पीछे से राउत ने शिंदे को पार्टी से अलग करना शुरू कर दिया। आज जो स्थिति है, उसके लिए संजय राउत को जिम्मेदार माना जाए तो गलत नहीं होगा। सवाल यह है कि पार्टी के चाणक्य माने जानेवाले राउत मौजूदा स्थिति से कैसे निपटेंगे।