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कहां और कैसे तैयार होता है फांसी का फंदा? कौन बनाता है ये फंदा…

आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे देश में फांसी देने के लिए केवल ही प्रकार की रस्सी...

DESK : आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे देश में फांसी देने के लिए केवल ही प्रकार की रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है जो की देश में केवल बिहार के बक्सर जिले के सेंट्रल जेल में ही तैयार की जाती है। फांसी के लिए मनीला रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है। मनीला रस्सी का इस्तेमाल ब्रिटिश काल में पहले फिलीपिंस की राजधानी मनीला में फांसी के लिए रस्सी तैयार किया जाता था. जिसके कारण ही इसे मनीला रोप या मनिला रस्सी कहा जाता है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय से चलती आ रही है।

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तो वही अगर बात करे की कैसे तैयार होते है ये फांसी का फंदा तो 172 धागों को मशीन में पिरोकर घिसाई कर मनीला रस्सी को तैयार किया जाता है.वह मजबूत धागा बनाने के लिए जे-34 किस्म की रुई का इस्तेमाल किया जाता है। आठ लच्छी को रातभर ओस में मुलायम होने के लिए छोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया से रस्सी की मजबूती बढ़ जाती है।इसके बाद तीन रस्सी को एक मशीन में घुमाकर मोटी रस्सी बनाई जाती है। जो की फांसी देने में इस्तेमाल किया जाता है

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बात करे की कितना लंबा होता है फांसी का फंदा तो एक फांसी का फंदा तैयार करने के लिए 20 फीट लंबी रस्सी का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक-एक कर 18 धागे तैयार किए जाते हैं। सभी को मोम में पूरी तरह भिगो दिया जाता है। इसके बाद धागों को मिलाकर मोटी रस्सी तैयार की जाती है।

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अंग्रेजों के समय से हीबिहार की बक्सर जिले के जेल के कैदी मौत का फंदा तैयार करते आ रहे है। बक्सर जेल में सजा काट रहे कैदियों को प्रशिक्षण के तौर पर फांसी का फंदा तैयार करने का काम मिलता है। फिर पुराने कैदी नए कैदियों को यह प्रशिक्षण देते हैं।

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ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि फांसी हमेशा सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है। इसके पीछे कोई बड़ा या रोचक कारण नहीं है। ऐसा केवल इसलिए किया जाता है ताकि इससे जेल के बाकी का काम बाधित न हो।

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