DESK. देशद्रोह कानून के मौजूदा प्रावधानों में बदलाव और इस कानून के दुरूपयोग से जुड़े मसलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. मंगलवार को कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार करने में कितना समय लगेगा. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि कानून पर पुनर्विचार की प्रक्रिया चल रही है.
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सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस पर कार्यपालिका के स्तर पर पुनर्विचार करना होगा क्योंकि इसमें राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता शामिल है. इसके साथ ही उन्होंने देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई टालने की मांग की.
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सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता के संबंध में अदालत की कवायद को केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता क्योंकि विधायिका को छह महीने या एक साल के लिए पुनर्विचार करने में समय लगेगा.
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सीजेआई एनवी रमण ने कहा कि केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नागरिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों से अवगत हैं और उनका मानना है कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में राष्ट्र पुराने औपनिवेशिक कानूनों सहित औपनिवेशिक बोझ को छोड़ना चाहता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बताया कि देशद्रोह कानून के दुरुपयोग की चिंताएं हैं और अटॉर्नी जनरल ने खुद कहा था कि हनुमान चालीसा का जाप करने के एलान से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं.
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