क्या आप जानते हैं ?
पृथ्वीराज चौहान पर ऐतिहासिकता के दावे पर बनने वाली आगामी फिल्म पृथ्वीराज ऐतिहासिक मिथ्या पर आधारित है ? यह उसके टीजर पोस्टर से ही सिद्ध होता है। जिस संयोगिता का वर्णन “पृथ्वीराज रासो” के पहले और इसके अलावा किसी पुराने ग्रंथ में नहीं मिलता , उस संयोगिता का पृथ्वीराज फिल्म में लीड रोल कर रही हैं मानुषी छिल्लर । जहां एक और इतिहासकार पृथ्वीराज रासो के ऐतिहासिक ग्रंथ होने का खंडन करते हुए इसे 16 वीं और 17 वीं शताब्दी तक लिखा हुआ मानते हैं तो दूसरी ओर जयचंद गहरवार द्वारा मोहम्मद घोरी को निमंत्रण देने, राजपूतों की आपसी फूट,पृथ्वीराज चौहान के महत्वाकांक्षी होने पर ऐतिहासिकता न होने पर भी इसे मुख्यधारा में लाने वाले इतिहासकारों की एक लंबी लाइन है ।
अब जिस पृथ्वीराज रासो का लेखन ही 17 वीं शताब्दी तक हुआ है उस पर बेस्ड होकर हिंदूवादी और वामपंथियों ने अब तक इतना दुष्प्रचार किया कि संयोगिता को माता मानना और जयचंद को गहरवार को गद्दार बोलने में राजपूतों का योगदान भी कम नहीं है ,फिल्में तक इसी नैरेटिव में बन रही हैं। हिंदुत्ववादी भाजपा के कार्यकाल में अक्षय कुमार की छवि राष्ट्रवादी बनाने वाले हिंदुत्ववादियों का अक्षय कुमार को भी भरपूर समर्थन है। खैर क्षत्रीय समाज का इसी हिंदुत्व में समर्थन इतना अत्यधिक होने के बावजूद इनका मीडिया, अकादमिया और स्वयं के इतिहास पर नियंत्रण भी शून्य है ।
अब हिंदूवादी नैरेटिवो में फंसे इस समाज की मानसिक हालत ऐसी हो तो प्रतिकार की भी इनसे उम्मीद करना जायज नहीं , प्रतिकार होगा भी तो वही सड़कों में दलाल संगठनों द्वारा जिन्हें मीडिया अब तक खासा उग्रवादी साबित कर चुकी है । रॉयल जिन्होंने अपनी विरासत का गुमान है लेकिन अपने पूर्वजों के इतिहास पर हो रहे बंदरबांट से कोई मतलब नहीं व जिन्होंने अपने खुद के इतिहास पर (कुछ को छोड़) आज तक कार्य न किया।
केवल चौहानों के कितने प्रिंसली स्टेट रहे हैं ? जिन्हें दिखा दिखा कर आप अपनी पीठ थपथपा रहे हैं , दरअसल इन्हें कोई मतलब नहीं।
साभार — शिवेंद्र परिहार