गोरखपुर रिपोर्टर उज्जवल कुमार. यूं तो कहने को यह क्षेत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद है सीएम यहां से 25 साल सांसद भी रहे हैं और अब दो बार से लगातार सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं पर विडंबना यह है कि शहर से सटे तीन विधान सभा एवं एक लोक सभा क्षेत्र से घिरा यह क्षेत्र घोर बदहाली का दंश झेल रहा है। बहराम पुर तिराहे से जैसे ही आगे बढ़ेंगे तो रोहिन नदी के उस पार कैंपियर गंज विधान सभा है.
वही सड़क के बाएं सहजनवा विधान सभा और तिराहे से दाहिने ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र है वहीं ये तीनो विधान सभा सदर लोक सभा के अंर्तगत आती है जिसके सांसद फिल्म स्टार रवि किशन शुक्ला है सभी विधान सभाओं के विधायक एवं लोक सभा सदर के सांसद बीजेपी से हैं,पर बदहाली का आलम यह है कि देश की आजादी के लगभग 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी लगभग दो से ढाई लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र एक अदद स्वास्थ्य केंद्र की बाट जोह रहा है,क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यदि किसी की तबियत खराब हो जाती है.
तो हमे यहां से 7 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल या 12 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज या फिर सहजनवा के लिए जाना पड़ता है,एंबुलेंस उपलब्ध न हो पाने की स्थिति में अपने साधन या दो पहिया वाहन से मरीज को ले जाना पड़ता है जो बहुत ही कठिन दुश्वारियों भरा होता है यदि आस पास स्वास्थ्य केंद्र खुल जाए तो हम सभी के लिए बहुत अच्छा होगा, जब ग्रामीणों से उनके जनप्रतिनिधियों के विषय में पूछा गया तो वहां के नागरिकों का कहना था की चुनाव के समय ही सभी दिखाई पड़ते है,जबकि बाढ़ के समय यह पूरा इलाका पूरी तरह पानी से डूब जाता है।
वहीं डिप्टी सीएम बृजेश पाठक प्रदेश भर में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने की बात करते हैं और हर गांव और ब्लॉक को सीएचसी और पीएचसी से जोड़ने की बात करते हैं लेकिन सीएम सिटी के नाक के नीचे ही आजादी के समय से ही यह पूरा इलाका स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है, जो इस बात को साबित करता है कि चिराग तले अंधेरा है, इस क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को विशेष रुप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तो यह कहीं ना कहीं सिस्टम और सरकार के ऊपर एक सवालिया निशान भी छोड़ता है सिर्फ शहर की सड़कें ही सुंदर हो जाएंगी तो उसे विकास नहीं कहते जब पूरे सिस्टम और व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा तभी हमारा समग्र विकास हो सकेगा इस बात को सरकार और सिस्टम में बैठे लोगों को समझना ही होगा अन्यथा बातें सिर्फ बातें ही रह जाएंगे और कागजों में ही उनकी इतिश्री होती रहेगी.