Desk. दिल्ली के NIA कोर्ट ने कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पिछले गुरुवार को कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को दोषी ठहराया था। साथ ही कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ही यासीन मलिक ने कबूल कर लिया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
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इससे पहले राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में यासीन मलिक को मृत्युदंड देने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया। एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत के समक्ष यह अभिवेदन दिया, जबकि मलिक की सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने उसे इस मामले में न्यूनतम सजा यानी आजीवन कारावास दिए जाने का अनुरोध किया।
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सुनवाई के दौरान मलिक ने न्यायाधीश से कहा कि वह अपनी सजा का फैसला अदालत पर छोड़ रहा है। मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता। इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं।
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अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है।