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पार्टी बिखरने का खोफ, साथ आए ये धुर विरोधी किसान नेता

किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को ठंडा नहीं पड़ने देना चाहता।

किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को ठंडा नहीं पड़ने देना चाहता। बॉर्डर पर लगे धरनों के लंबा खिंचने से आंदोलनकारी पीछे हटने न लगें, इसलिए धुर विरोधी किसान नेताओं ने हाथ मिला लिए हैं। उन्हें आंदोलन के बिखराव की आशंका थी। राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी व रतन मान सरीखे नेता हरियाणा में यूं ही एक मंच पर नहीं आए।

अहम मुद्दा इस समय संघर्ष को सिरे चढ़ाना है, यह बात पुराने बुजुर्गों ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बड़े किसान नेताओं को समझाई है। भले ही उनके दिल आपस में मिलते हों या नहीं लेकिन जनता में साथ दिखना जरूरी है। यह बात बिना देरी के भाकियू हरियाणा के दोनों गुटों के अध्यक्षों गुरनाम चढूनी व रतन मान के दिमाग में भी बैठ गई। इसलिए न केवल उन्होंने करनाल जिले की महापंचायत में मंच सांझा किया, बल्कि आगे भी एकजुट दिखेंगे।

चढूनी अभी तक राकेश टिकैत से भी दूरी बनाए हुए थे। उन्होंने कंडेला व पिपली महापंचायत में उनके साथ मंच सांझा नहीं किया। लेकिन टिकैत के बढ़ते प्रभाव व किसानों की एकत्रित भीड़ को देखकर वह समझ गए कि एकला चलो से बात नहीं बनने वाली। इससे किसानों में तो गलत संदेश जाएगा ही जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत होने के बजाए आने वाले दिनों में ढीली भी हो सकती है। इसलिए टीम चढूनी ने साथ-साथ आगे बढ़ना ही उचित समझा।

 

 

 

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