DESK. जल संरक्षण और संचयन की महत्ता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के रेडियो कार्यक्रम में पानी के बचाव पर जोर देने की आम लोगों से अपील की. उन्होंने कहा कि गर्मी बढ़ रही है और इससे पानी बचाने की जिम्मेदारी भी बढ़़ रही है। कई ऐसे जल संकट वाले इलाके हैं, जहां पानी की एक-एक बूंद कीमती है। जल संरक्षण भी अमृत महोत्सव का संकल्प है।
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देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। वो दिन दूर नहीं, जब आपके अपने जिले में ऐसा होगा। युवा इस अभियान के बारे में जानें और जिम्मेदारी उठाएं। आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की स्मृति भी इससे जोड़ सकते हैं। कई जगहों पर इस पर काम शुरू हो गया है। यूपी के रामपुर में पटवई में ग्राम सभा की जमीन पर तालाब था। गंदगी से भरा था। कुछ हफ्तों में स्थानीय नागरिकों और स्कूली बच्चों ने इस तालाब का कायाकल्प कर दिया है। ये फव्वारे, फूडकोर्ट और लाइटिंग से सज गया है।
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उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता और किल्लत किसी भी देश की गति को निर्धारित करते हैं। मन की बात में मैं बार-बार इसकी बात करता हूं। ग्रंथों में कहा गया है कि संसार में जल ही हर एक जीव के जीवन का आधार है। जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है। हमारे पूर्वजों ने जलसंरक्षण के लिए इतना जोर दिया। वेद-पुराण हर जगह पानी बचाने को मनुष्य का सामाजिक और अध्यात्मिक कर्तव्य बताया गया है। इतिहास के छात्र जानते होंगे कि सिंधु, सरस्वती और हड़प्पा संस्कृति में पानी को लेकर कितनी विकसित इंजीनियरिंग होती थी। ये वो समय था, जब जनसंख्या ज्यादा नहीं थी और प्राकृतिक संसाधनों की किल्लत नहीं थी।
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“जल से जुड़ा हर प्रयास हमारे कल से जुड़ा है। इसमें पूरे समाज की जिम्मेदारी होती है। सदियों से अलग-अलग समाज अलग अलग प्रयास करते आए हैं। कच्छ के रण की एक जनजाति मालधारी छोटे कुएं बनाती है, पेड़ पौधे लगाती है। मध्य प्रदेश के भील पानी से जुड़ी समस्याओं का उपाय ढूंढने के लिए हलमा तरीका अपनाते हैं। वे एक जगह इकट्ठा होते हैं। इससे पानी का संकट कम हुआ और भूजल स्तर बढ़ा है। ऐसे ही कर्तव्य का भाव सबसे मन में आए तो जल संकट से जुड़ी बड़ी चुनौतियों का समाधान हो सकता है।”