DESK. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पेगासस विवाद पर विचार करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त तकनीकी और पर्यवेक्षी समितियों द्वारा रिपोर्ट जमा करने का समय बढ़ाते हुए कहा कि ये चार सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए। इजराइली स्पाईवेयर को लेकर 29 ‘प्रभावित’ मोबाइल फोन की जांच की जा रही है और इस प्रक्रिया को चार हफ्ते में पूरा हो जाना चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि रिपोर्ट तब पूर्व एससी न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर वी रवींद्रन को सौंपी जाएगी जो अभ्यास की निगरानी कर रहे हैं और उन्हें अपनी टिप्पणी जोड़ने में 15 दिन और लग सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस स्पाइवेयर की जांच पर कहा कि ‘प्रभावित उपकरणों’ की जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि 29 मोबाइल उपकरणों की जांच की जा रही है। उन्होंने अपना खुद का सॉफ्टवेयर विकसित किया है। उन्होंने सरकार और पत्रकारों सहित एजेंसियों को नोटिस भी जारी किए हैं और आपत्तियां भी आमंत्रित की है। इनकी तरफ से अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए समय की प्रार्थना की है अब यह प्रक्रिया में है। हम उन्हें समय देंगे। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने समिति से मोबाइल उपकरणों की जांच में तेजी लाने को कहा, अधिमानतः चार सप्ताह में और अपनी रिपोर्ट निगरानी न्यायाधीश को भेजने को कहा। समय के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पीठ ने बताया कि वह मामले की अगली सुनवाई जुलाई में करेगी।
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याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हालांकि इसका विरोध करते हुए कहा कि यह केवल एक अंतरिम रिपोर्ट है। कोर्ट ने ने अक्टूबर 2021 में इजरायली स्पाइवेयर के कथित उपयोग की जांच के आदेश दिए थे। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने दावा किया था कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिये कथित निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर शामिल थे।