desk : बिहार में जातीय जनगणना पर हो रही राजनीति के बीच जहां राजद और जदयू इसके समर्थन में हैं वहीं अब तक भाजपा को लेकर कहा जा रहा था कि वह इसका विरोध करती है. हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने इसका खंडन किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा कभी भी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रही है. भाजपा के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वह जातीय जनगणना के विरोध में है. उन्होंने कहा, बिहार विधानसभा और परिषद से इस पर दो दो बार सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया. दोनों में भाजपा शामिल थी. अगर हम विरोध में होते तो कैसे प्रस्ताव में शामिल होते?[ads1]
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उन्होंने कहा कि इसी तरह झारखंड में भी जब जातीय जनगणना पर सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया तब भाजपा उसमें शामिल थी. इसी तरह जब जातीय जनगणना पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गया तब भाजपा ने अपने मंत्री जनकराम को उसमें भेजा. प्रतिनिधिमंडल की मांग थी कि बिहार में जातीय जनगणना कराई जाए. अगर भाजपा विरोध में होती तो उस प्रतिनिधिमंडल में क्यों शामिल होती. इसी तरह झारखंड से जब एक प्रतिनिधिमंडल गया तब भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश शामिल थे.
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उन्होंने कहा कि दोनों प्रतिनिधिमंडल का मकसद जातीय जनगणना ही था. लेकिन जब केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि केंद्र के लिए जातीय जनगणना संभव नहीं है तब राज्य सरकार इसके लिए स्वतंत्र है. ऐसे में भाजपा कभी भी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रही है.
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मोदी ने कहा कि यहां तक कि वर्ष 2010 में लोकसभा में जब सामाजिक, आर्थिक जातीय जनगणना को लेकर बहस हुई तब भाजपा की ओर से गोपीनाथ मुंडे और हुकुमेव यादव ने इसके समर्थन में बयान दिया था. भाजपा ने कभी विरोध नहीं किया. यहां तक कि कर्नाटक और तेलंगाना में जब जातीय जनगणना हुई तब भी भाजपा ने इसका विरोध नहीं किया. तेलंगाना में समग्र कुटुंब सर्वे हुआ और तेलंगाना में ही 2015 में कांग्रेस सरकार के दौरान सर्वे हुआ. इसलिए भाजपा जातीय जनगणना के विरोध में है यह बेबुनियाद और भ्रामक. हालांकि केंद्र सरकार के लिए यह संभव नहीं है लेकिन राज्य सरकार जातीय जनगणना कराने को स्वतंत्र है.
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