DESK. भारत की आजादी के समय बंटवारे ने कई जख्म दिए. हजारों लोग बेघर हो गए तो कई अनाथ. कई ऐसे भी रहे जिनका घर परिवार का कोई अता पता नहीं चला. ऐसे ही एक परिवार के बिछड़े सदस्यों का मिलना अब भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में सुर्खियां बटोर रहा है. आजादी के 75 साल बाद भाई-बहन के इस मिलन की अनोखी कहानी है. बंटवारे के दौरान दोनों भारत और पाकिस्तान में चले गए थे लेकिन फ़िल्मी कहानी की तरह अब परिवार के लोग एक दूसरे से मिले.
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1947 के बंटवारे के दौरान पंजाब प्रान्त में हुई हिंसा के समय महिला की माँ दंगे में मारी गई. उस दौरान एक अबोध बच्ची अपनी मां के शव पर लेटी हुई थीं, जिसे हिंसक भीड़ ने मार डाला था. उस दौरान मुहम्मद इकबाल और उनकी पत्नी, अल्लाह राखी ने शिशु को गोद लिया और उसे अपनी बेटी के रूप में पाला. उन्होंने बच्ची का नाम मुमताज बीबी रखा. विभाजन के बाद, इकबाल ने पंजाब प्रांत के शेखपुरा जिले के वरिका तियान गांव में घर बना लिया. वहीं दो साल पहले जब इकबाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई तब उसने मुमताज से कहा कि वह उसकी असली बेटी नहीं है और उसका असली परिवार सिख है.
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इकबाल की मौत के बाद मुमताज और उनके बेटे शाहबाज ने सोशल मीडिया के जरिए उनके परिवार की तलाश शुरू कर दी. वे मुमताज़ के असली पिता का नाम और पटियाला के उस गांव (सिदराना) को जानते थे जहां वे अपने पैतृक घर को छोड़ने के लिए मजबूर होने के बाद बस गए थे.
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मुमताज के भाई सरदार गुरुमीत सिंह, सरदार नरेंद्र सिंह और सरदार अमरिंदर सिंह परिवार के सदस्यों के साथ करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचे. रिपोर्ट में कहा गया है कि मुमताज अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ वहां पहुंचीं और 75 साल बाद अपने खोए हुए भाइयों से मिलीं. 75 साल बाद हुए इस मिलन के दौरान हर कोई भावुक हो गया.