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#रिल नहीं #रियल हीरो है #रोहितराजयादव#कोरोना काल में विगत दो महीने से दानापुर बिहटा मनेर और पटना#

सबसे बड़ी समस्या भूख की लोगों का रोजी रोजगार बंद है खाने पीने की वस्तुओं या समाप्त है

#रिल नहीं #रियल हीरो है #रोहितराजयादव
पटना जिले के बिहटा प्रखंड के बेला गांव निवासी पैक्स अध्यक्ष भोजपुरी फिल्मों के चर्चित अभिनेता रोहित राज यादव रिल के साथ रियल लाइफ में भी हीरो है. कोरोना काल में विगत दो महीने से दानापुर बिहटा मनेर और पटना के कई इलाकों में अपने टीम मां शांति इंटरटेनमेंट के माध्यम से अब तक हजारों लोगों की सहायता कर चुके हैं रोहित इस सहायता को जगजाहिर नहीं करना चाहते. रोहित के टीम में 3 दर्जन से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं जो जरूरतमंद लोगों के घरों तक चावल आटा सब्जी दवाई अन्य सामग्री आ पहुंचा रहे हैं जिन लोगों को सहायता दी जाती है ना उसकी तस्वीर बनाई जाती है ना वीडियो बनाया जाता है.

रोहित खुद पूरे अभियान की मानिटरिंग कर रहे हैं. बातचीत के क्रम में रोहित ने बताया कि संकट के इस काल में अगर लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला पाते हैं तो यही सबसे बड़ा उनके लिए सुकून की बात है. पिछले साल प्रदर्शित भोजपुरी फिल्म यह इश्क बड़ा बेदर्दी है से चर्चा के केंद्र बिंदु में आए रोहित राज की फिल्म प्यार होता है दीवाना सनम लगभग बनकर तैयार है इस फिल्म में गुंजन पंत के संग उनकी जोहरी पुर दर्शक देख सकते हैं भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में कार्यरत 300 से ज्यादा टेक्नीशियन कैमरामैन क्रू मेंबर को भी रोहित आर्थिक सहायता प्रदान कर चुके हैं वे कहते हैं कि जिस तरह का संकट है इसमें जितनी भी सहायता की जाए कम है पर अगर सभी लोग थोड़ी थोड़ी भी सहायता करेंगे तो लाखों लोगों तक सहायता पहुंच पाए . साधन सीमित है पर काम करने का हौसला काफी बड़ा है

रोहित ने बताया कि अभी सबसे बड़ी समस्या भूख की लोगों का रोजी रोजगार बंद है खाने पीने की वस्तुओं या समाप्त है ऐसे में उनके द्वारा अनाज के वितरण को प्राथमिकता दी गई है लाचार बीमार लोगों को दवाइयां पहुंचाई जा रही है छोटे बच्चों के लिए खाने-पीने की वस्तुएं दी जा रही साथ ही साथ जागरूकता अभियान को भी चलाया जा रहा है. रोहित ने कहा कि वे अपने स्तर से अपने इलाके में वापस लौटे मजदूरों और कामगारों के लिए रोजगार की व्यवस्था के दिशा में भी पहल कर रहे हैं लाक डाउन समाप्ति के बाद वे अपने स्तर से लघु और कुटीर उद्योग जिसमें पापड़ अचार बरी मोमबत्ती अगरबत्ती निर्माण जैसी इकाईयों की शुरुआत करने जा रहे हैं. साथी साथ स्वयं सहायता समूह के निर्माण की दिशा में भी वे जुट गए जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में औषधीय पौधों मछली पालन बकरी पालन सब्जी की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा |

वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह

की कलम से

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