प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में चार दिन तक चली प्रांत प्रचारक बैठक में संघ कोरोना महामारी के लिए चिंतित दिखा तो नए लक्ष्यों पर भी पैनी निगाह रही। वहीं, कोरोना की संभावित तीसरी लहर की तैयारी में शताब्दी वर्ष से पहले देश के हर गांव तक संघ की पहुंच बनाने की राह भी निकाल ली। संभावित तीसरी लहर से पहले ही संघ के प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की टोलियां ढाई लाख गांवों और बस्तियों में पहुंचेंगी। संघ की देश में अभी 55 हजार से अधिक शाखाएं हैं, अब उसकी गतिविधियां ढाई लाख जगहों पर होंगी। इससे जाहिर है सेवा के साथ संघ के विस्तार की राह भी खुलेगी।
देश के करोड़ों लोगों से सीधा जुड़ाव रखने वाले संघ की बुनियाद उसकी शाखाएं हैं। शाखा की सामान्य सी लगने वाली गतिविधियों खेल, योग, वंदना और सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा-परिचर्चा से ही राष्ट्रभक्त स्वयंसेवक तैयार होते हैं। चित्रकूट में चार दिन चली प्रांत प्रचारक बैठक में शाखाओं को शताब्दी वर्ष (27 सितंबर 2025) तक गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया। कोरोना काल में संघ के सेवा कार्य की फिक्र भी की गई। वर्तमान हालात में संगठन का विस्तार और कोरोना महामारी में सेवा कार्य की तैयारी दोनों विषय भले अलग लगें, पर संघ को समझने वाले जान रहे हैं कि हर गांव तक पहुंच बनाने को संकल्पित संघ की दोनों को लेकर की जा रही फिक्र में संगठन के विस्तार का रास्ता भी है।
वह समझ रहे हैं कि अपने सेवा कार्य से ही आकार पाते रहे संघ के स्वयंसेवक जब ढाई लाख गांव और बस्तियों तक पहुंचेंगे तो उनकी सामान्य दिनचर्या में शामिल शाखा का संचालन भी वहां होगा। संघ के निस्वार्थ सेवाॢथयों को लोग समझेंगे तो शाखाओं का विस्तार भी तय है। सितंबर से विस्तार की शुरुआत तीसरी लहर के खतरे से निपटने के लिए संघ के युवा स्वयंसेवकों का अगस्त में प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा। उसके बाद सितंबर में उनकी टोलियां सही वक्त पर कोरोना से बचाव की जरूरी जानकारी देने को गांव और बस्तियों में पहुंचेंगी।
संघ जनजागरण अभियान में कई स्वयंसेवी लोगों और संस्थाओं को भी जोड़ेगा। इससे संघ सितंबर में सेवा और संगठन विस्तार की बड़ी मुहिम की शुरुआत करेगा। योगी के लिए कोशिश, मोदी के लिए मुफीद संघ की सेवा में सियासी बातें तो नहीं हो सकतीं, पर स्वयंसेवकों की मौजूदगी और समाज में उनके सेवा कार्यों का किसे लाभ मिलना है ये भी छिपा नहीं है। सितंबर में संघ की गांव-गांव तक पहुंच का हालिया सियासी लाभ तो मुख्यमंत्री योगी के लिए दिख रहा है, पर पुख्ता जमीन तो प्रधानमंत्री मोदी के लिए तैयार होगी। संघ के शताब्दी वर्ष की शुरुआत से ठीक पहले भाजपा केंद्र में तीसरी बार सरकार की जद्दोजहद के लिए चुनाव मैदान में होगी।