रावण ने परस्त्री को नहीं छुआ यह पूरी तरह गलत है, स्वयं रावण ने इसका खण्डन किया है, जिसे आप वाल्मीकि रामायण में ३.४७.२८, ३.२३.१२ के अलावा और भी कई जगह आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं। कुछ धर्म द्रोहियों द्वारा समस्त सोशल मीडिया नेटवर्क में वायरल किया जाता है : “रावण में वासना थी तो संयम भी था।। रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था।।” “सीता जीवित मिली, ये राम की ही ताकत थी। पर सीता पवित्र मिली, ये रावण की भी मर्यादा थ।।”
ऐसे और भी अनगिनत मिलते जुलते आधारहीन मैसेजेस होते हैं।
जिन्होंने रामायण कभी पढ़ी नहीं, वो लग जाते हैं इस पूर्णतः बकवास को कॉपी पेस्ट कर समर्थन करने। कुछ तो रामानंद सागर द्वारा दिखाया गया सीरियल ही सच मान बैठते हैं और चाहे अनचाहे में ऐसे मैसेजेस पढ़ कर रावण जैसा नीच पापात्मा आपके द्वारा महात्मा बना दिया जाता है।
रावण एक बलात्कारी था। आरण्य कांड में अनेक श्लोकों में स्पष्ट वर्णन है कि माता सीता का अपहरण रावण ने काम के वशीभूत होकर किया था। उसने माता सीता को हरण करने से पूर्व अनेकों बालाओं का बालात्कार किया था, वेदवती से छेड़खानी की थी, पुंजिकस्थला का बलात्कार किया था, फिर अपनी बहू रंभा का बलात्कार किया तब नलकुबेर ने उसे शाप दिया कि बिना सहमति के अगर वह किसी भी स्त्री का बलात्कार करने की कोशिश भी करेगा तो उसके सिर के टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे और उसी क्षण उसका विनाश हो जाएगा। इसी कारण वह माता सीता को नहीं छू पाया था।
अतः कृपया रामायण पढ़ें और ऐसी झूठी कहानियां फैलाकर रावण जैसे दुष्ट राक्षस का महिमा मंडन न करें। ऐसा राक्षस न तो ब्राह्मण है न मूलनिवासी, वह मात्र एक कलंक है, जिसे हर युग में समय रहते मिटाना ही एक मात्र धर्म है।
और हां, सीता जीवित मिली, यह राम की ताकत थी।
और सीता पवित्र मिली, यह रावण की मजबूरी थी।।