रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर भूमि पूजन के एक वर्ष पूर्ण होने से पहले भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी मिली है। राम भक्तों का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है। श्रद्धालु 2023 समाप्त होने के पहले भव्य मंदिर में रामलला का दर्शन और पूजन कर सकेंगे। अयोध्या में पूरे राम मंदिर परिसर का निर्माण वर्ष 2025 तक होने की उम्मीद है। मंदिर परिसर में एक संग्रहालय, डिजिटल अभिलेखागार और एक शोध केंद्र भी बनेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस लक्ष्य को पाने के लिए निर्माण की समयबद्ध कार्ययोजना बनाई है।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का भव्य निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर के लिए शिलान्यास किया, तब से रामलला के मंदिर को मूर्तरूप देना शुरू कर दिया गया। मंदिर के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से चंदा भी इकट्ठा किया जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी 2023 में मंदिर का उद्घाटन करेंगे। हालांकि, उसके बाद दर्शन के साथ-साथ दूसरे और तीसरे माले का निर्माण जारी रहेगा। 2025 तक मंदिर का पूरा स्वरूप खड़ा हो जाएगा।रामभक्तों को वर्ष 2023 के अंत तक भव्य-दिव्य भवन में रामलला का दर्शन मिल सकेगा। जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष पांच अगस्त को भूमि पूजन किया था। मंदिर की नींव की 27 लेयर तैयार हो चुकी है, जबकि 44 लेयर में नींव भराई की जानी है। हालांकि, मंदिर संपूर्ण परिसर का निर्माण कार्य वर्ष 2025 तक पूरा होने की संभावना है। परिसर में संग्रहालय, डिजिटल अभिलेखागार, शोध केंद्र व रामकथा कुंज आदि का निर्माण भी किया जाना है। संपूर्ण परिसर का क्षेत्रफल करीब 70 एकड़ है, जबकि मंदिर का निर्माण पांच एकड़ में होगा।
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राममंदिर के भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण के लिए रामलला को परिसर में ही वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान कराया गया था, जहां पूरी शास्त्रीयता और विधि-विधान से भगवान का पूजन किया जाता है। गत वर्ष 25 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान कराया था। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राममंदिर का उद्घाटन करेंगे। मंदिर निर्माण के लिए मीरजापुर एवं बंसी पहाड़पुर से पत्थर आए हैं।अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर सहित संपूर्ण 70 एकड़ परिसर इको फ्रेंडली होगा। परिसर का अपशिष्ट पानी शेष रामनगरी के लिए समस्या न बने, इसके लिए सीवर ट्रीटमेंट और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। परिसर में अधिकाधिक वृक्षों को भी संरक्षित किया जाएगा, ताकि आक्सीजन लेवल और तापमान ठीक-ठाक रहे। इस दौरान निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पत्थर और अन्य सामग्री का भी आकलन किया गया है। परकोटा के निर्माण में जोधपुर के चार लाख घनफीट, प्लिंथ के निर्माण में ग्रेनाइट एवं मिर्जापुर के चार लाख घन फीट तथा मंदिर निर्माण में बंसी पहाड़पुर के तीन लाख 60 हजार घन फीट पत्थर प्रयुक्त होंगे। पानी के आक्रमण से मंदिर के बचाव के लिए उत्तर, दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में रिटेनिंग वाल बनाई जाएगी