उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथऔर केशव मौर्य के बीच जो सियासी खटपट चलरही है और भारतीय जनता पार्टी इस वक्तजितनी मुश्किलों का सामना कर रही है इसबीच एक और मुश्किल भारतीय जनता पार्टी का इंतजार कर रही है वह मुश्किल है अनुप्रियापटेल क्योंकि अब खबरें आ रही हैं कि अनुप्रिया पटेल भारतीय जनता पार्टी सेबहुत ज्यादा नाराज हैं अब उनकी नाराजगी कोकई मौकों पर आप देख चुके हैं कई बार उल्टाचश्मा सी पर भी अनुप्रिया पटेल की नाराजगीकी खबरें हमने आपको बताई हैं लेकिन अबअनुप्रिया पटेल के साथ-साथ आशीष पटेल जोउनके पति हैं वह भी भारतीय जनता पार्टी सेनाराज होते जा रहे हैं अनुप्रिया पटेल नेआपको याद होगा चुनाव परिणाम आने के कुछदिन बाद एक चिट्ठी योगी आदित्यनाथ को लिखीथी उस चिट्ठी में उन्होंने आरक्षण मेंनौकरी का जो मसला था जिसमें एससी एसटी ओबीसी वर्ग के लोगों को जो नौकरी मिलती है उसमें इंटरव्यू में जो प्रक्रिया थी उस प्रक्रिया पर उन्होंने सवाल खड़े किए कि इसमें पारदर्शिता नहीं है और समाज के इन लोगों के साथ इनका अहित हो रहा है इसका जवाब भी योगी सरकार की तरफ से दिया गया और अनुप्रिया पटेल के सभी आरोपों को तथ्य हीन बता दिया गया इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने लखनऊ में सोनेलाल पटेल की जयंती के मौके पर 69000 शिक्षक भर्ती का मुद्दा उठा दिया राजा भैया के खिलाफ एक बार फिर उन्होंने खुलकर बयान दिया लेकिन यह तमाम विवाद तो अनुप्रिया पटेल के थे अनुप्रिया पटेल नरेंद्र मोदी की सरकार में तीसरी बार मंत्री हैं तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीती हैं आज की तारीख में अनुप्रिया पटेल की पार्टी के पास 13 एमएलए हैं एक एमएलसी है और खुद अनुप्रिया पटेल सांसद हैं तो क्या अनुप्रिया पटेल भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं।
क्या यह दबाव विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में ज्यादा सीटें हासिल करने का है या फिर मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ ज्यादा पाने की चाहत है या फिर अनुप्रिया पटेल किसी प्लान बी पर काम कर रही हैं आज इस पर हम तसल्ली से आपसे बात करेंगे दोस्तों अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल विधान परिषद के सदस्य हैं और योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री हैं आशीष पटेल के एक प्रमुख सचिव हैं जिनका नाम है एम देवराज दावा यह किया जाता है कि आशीष पटेल और एम देवराज में ब नहीं है उत्तर प्रदेश में जब तबादला सत्र चल रहा था तो योगी आदित्यनाथ को आशीष पटेल ने एक तबादला की पत्रावली भेजी उनका कहना था कि देवराज ने नियमों को ताग पर रखते हुए कई ट्रांसफर कर दिए लेकिन इस मसले में आशीष पटेल की नहीं सुनी गई यानी यह माना गया कि देवराज योगी सरकार के करीबी हैं आशीष पटेल भी यह बात कहते हैं कि एम देवराज उनकी बात नहीं सुनते यानी अधिकारी और मंत्री की लड़ाई यहां पर भी देखने को मिलती है आशीष पटेल की नाराजगी भी हमने आपको बताई दोस्तों लेकिन अनुप्रिया पटेल कई मसलों पर सरकार से नाराज है 69000 शिक्षक भर्ती का मसला आरक्षण का मसला राजा भैया के खिलाफ बयान इसके अलावा वाराणसी में टोल प्लाजा को लेकर भी अनुप्रिया पटेल नाराज हो गई अनुप्रिया पटेल का यह तर्क था कि टोल का नियम है कि 40 किलोमीटर की दूरी पर ही टोल होगा लेकिन वाराणसी में दो टोल ऐसे हैं जो 20 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन वहां शुल्क वसूला जा र है और लोगों को परेशान किया जा रहा है दरअसल वाराणसी और शक्तिनगर रोड पर अहरोरा के पास एक टोल है इसे लेकर अनुप्रिया पटेल ने अपनी नाराजगी जताई थीएनएचआई को चिट्ठी भी लिख दी अब इसके जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने इसका जवाब दिया और यह कहा कि यह पूरी तरह से यह दावा भ्रामक है ऐसा कहीं नहीं हो रहा है टोल दो हैं लेकिन टोल शुल्क सिर्फ एक टोल पर लिया जाता है यानी सरकार और अनुप्रिया पटेल के बीच कई बार रार की स्थिति बन चुकी है।
उत्तर प्रदेश में जिस तरह से पिछड़े वर्ग का वोट और दलितों का वोट इंडिया गठबंधन के साथ चला गया उसको देखते हुए अनुप्रिया पटेल घबरा रही हैं अब दावा तो यह किया जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश की सरकार से अलग हो सकती हैं और बाहर से अपना समर्थन जारी रखेंगी क्या अनुप्रिया पटेल यह फैसला 2027 को देखते हुए कर रही हैं क्या अनुप्रिया पटेल को यह लगने लगा है कि उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग के लोगों का विश्वास भाजपा के साथ कमजोर हुआ है अनुप्रिया और उनके पति लगातार सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं तमाम वो मसले उठा रहे हैं जिनमें सरकार असहज हो जाती है तो क्या अनुप्रिया पटेल और आशीष पटेल एक सोची समझी रणनीति के तहत यह स्टेप उठा रहे हैं अब दोस्तों अनुप्रिया पटेल की ताकत यह है कि वह उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज की बड़ी नेता है लेकिन एक सबसे बड़ी कमी अनुप्रिया पटेल की यह है कि वह भारतीय जनता पार्टी के बिना आज तक कोई चुनाव नहीं जीती व जितने भी चुनाव जीती हैं सब भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके ही जीती हैं तो क्या अनुप्रिया पटेल अलग होने का रिस्क उठाने की स्थिति में है या फिर अनुप्रिया पटेल सिर्फ भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बढ़ाना चाहती हैं अब गठबंधन की राजनीति में दबाव से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अनुप्रिया ने भी मौका देखकर दबाव बनाना शुरू किया है।
अनुप्रिया को पता है कि आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी अपनी अंदरूनी लड़ाई से जूझ रही है उस मोर्चे पर वो परेशान है तो ऐसे में अगर अनुप्रिया पटेल दबाव बना देती हैं तो जाहिर सी बात है कि विधानसभा में होने वाले 10 सीटों के उपचुनाव और आगे जब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो उसमें उनकी पार्टी का ध्यान रखा जाएगा दोस्तों क्या वाकई अनुप्रिया पटेल दबाव की राजनीति कर रही हैं या फिर यह 2027 का एक बड़ा स्टेप है क्या अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश में बाकी विकल्पों पर भी गौर कर रही हैं अब वो विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं वो आप हमें जरूर बताइएगा फिलहाल उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जहां एक तरफ अपनी अंदरूनी लड़ाई में जूझ रही है तो वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल जैसे सहयोगी दल संजय निषद जैसे सहयोगी दल बार-बार भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ा देते हैं।