कब बना पहले झंडे, कैसा दिखता था,आजादी से 23 दिन पहले तय हुआ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा…
सबसे पहले झंडे में थे 8 कमल के फूल:फिर चांद, सितारे, चरखा से बना था
तारीख: 7 अगस्त 1906
जगह: कोलकाता का पारसी बागान चौक (अब ग्रीन पार्क) है।
बंगाल विभाजन के विरोध में ‘बॉयकाट दिवस’ मनाने के लिए हजारों लोग जमा थे। इस प्रदर्शन में पहली बार स्वतंत्रता सेनानी सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने एक झंडा फहराया, जिसे भारत का पहला नेशनल फ्लैग कहा जाता है।
इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं। इनमें से बीच वाली पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा हुआ था। सबसे नीचे की लाल पट्टी पर सूरज और आधे चांद की तस्वीरें थी। वहीं सबसे ऊपर की हरी पट्टी पर 8 कमल के फूल बने हुए थे।
सबसे पहले उस तस्वीर को देख लीजिए..
. इस ऐतिहासिक घटना को बीते 116 साल हो चुके हैं। इस दौरान भारत के नेशनल फ्लैग ने एक लंबा रास्ता तय किया है। इसके डिजाइन में 6 बार बदलाव हुए, इससे जुड़े नियमों में बदलाव हुआ और आज घर-घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है।
देश में फहराए गए पहले नेशनल फ्लैग का किस्सा तो हमने ऊपर जान लिया। अब बात भारत के बाहर फहराए गए झंडे की। 22 अगस्त 1907 में मैडम कामा और उनके साथियों ने जर्मनी में भारत का झंडा फहराया था। इसे बर्लिन कमेटी फ्लैग कहा गया।
इस झंडे में भी तीन रंगों का इस्तेमाल किया गया था। सबसे ऊपर नारंगी, बीच में पीले और आखिर में हरे रंग की पट्टियां थीं। नारंगी रंग की पट्टी में 8 सितारे बने हुए थे। वहीं बीच वाली पीले रंग की पट्टी में वंदे मातरम लिखा था। सबसे नीचे की हरी पट्टी में एक सूरज और चांद के ऊपर सितारे की तस्वीर बनी हुई थी।
1916 में बाल गंगाधर तिलक के बनाए राजनीतिक संगठन ‘होम रूल’ ने एक झंडा बनाया।
तब भारत अंग्रेजों से डोमिनियन स्टेट की मांग कर रहा था। इसका मतलब ये हुआ कि ऐसा देश जो स्वतंत्र हो, लेकिन अंग्रेजी साम्राज्य के कानून से चले।
इस झंडे में सबसे ऊपर अंग्रेजों का झंडा यूनियन जैक था। इसके अलावा पांच लाल और चार हरे रंग की पट्टियां थीं। इसमें सात तारे भी थे। ये तारे सप्तऋषि को दर्शाते थे। इस पर आधा चांद और उसके ऊपर तारा भी बना हुआ था। हालांकि, देश के लोगों ने दिल से इस झंडे को स्वीकार नहीं किया था।
ये तो बात हुई अलग-अलग समय में अंग्रेजों के खिलाफ फहराए गए अलग-अलग भारतीय झंडों की। लेकिन हम आज जो तिरंगा झंडा देखते हैं, उसके बनने की शुरुआत 1921 से हुई थी।
1921 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रोफेसर पिंगली वैंकय्या ने महात्मा गांधी को एक झंडे का डिजाइन दिखाया था। इसमें देश के दो प्रमुख धर्मों हिंदुओं के लिए लाल और मुसलमानों के लिए हरे रंग की पट्टियां थीं।
पिंगली 1916 में झंडों की डिजाइन के लिए एक किताब भी छपवा चुके थे। वह इस प्रयास में थे कि बाकी देशों की तरह भारत में भी एक ऐसे प्रतीक की जरूरत है जो सभी धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ सके।
गांधी जी को प्रोफेसर पिंगली का विचार पसंद आया। आर्य समाज के लाला हंस राज सोंधी ने पिंगली को सुझाव दिया कि इस झंडे के बीच में चरखा भी होना चाहिए। उस समय चरखा भारत के लोगों के लिए स्वदेशी कपड़ा बनाकर आत्मनिर्भर होने का संकेत हुआ करता था।
जब बात आगे बढ़ी तो गांधी जी ने इस झंडे में सफेद रंग की पट्टी जोड़ने के लिए कहा था। गांधी ने इसके पीछे तर्क दिया कि ये रंग बाकी धर्मों का प्रतिनिधित्व करेगा। इस तरह इस झंडे में सबसे ऊपर सफेद फिर हरा और नीचे लाल रंग था।
भारत का झंडा 1931 में एक बार फिर से बदला गया और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने पहली बार आधिकारिक तौर पर इसे अपना लिया। इस झंडे में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और अंतिम में हरे रंग की पट्टी बनाई गई थी। इसमें छोटे आकार पूरा चरखा बीच की सफेद पट्टी रखी गई थी। सफेद पट्टी में चरखा राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है। कांग्रेस का यह झंडा भारतीय लोगों के लिए राष्ट्रीयता से जुड़ा हुआ था।
1947 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी को भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज तय करना था। कमेटी ने भारतीय नेशनल कांग्रेस के झंडे में कुछ बदलाव करके इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने की बात कही थी। इस तरह 1931 में बने इस झंडे के बदले रूप को 22 जुलाई 1947 को अपना लिया गया। इस झंडे में चरखे की जगह अशोक चक्र ने ले ली थी। 300 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने जब पूरे भारत को एक करने की कोशिश की तो उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था। मौर्य सम्राज्य के स्तंभों में भी यह धर्म चक्र दिखाई देता है।
आपने तिरंगे की आजादी तक की यात्रा पढ़ ली है। अब आजादी के बाद तिरंगे से जुड़े कुछ नियम कानून और इसमें हुए बदलावों की कहानी जानते हैं…
आजादी के बाद राष्ट्रीय झंडा तिरंगे से जुड़े दो कानून देश में बनाए गए थे- पहला: प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950, दूसरा: राष्ट्रीय सम्मान के अपमान या अनादर की रोकथाम अधिनियम, 1971।
55 साल बाद इंडियन फ्लैग कोड में हुआ बदलाव
25 जनवरी 2002 को देश की आजादी के 55 साल बाद इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव किया गया। इसके जरिए 2 अहम बदलाव किए गए…
पहला: अब किसी सामान्य दिन में कभी भी भारतीय राष्ट्रीय झंडा घरों, दफ्तरों, फैक्ट्री पर लगाने की छूट दे दी गई। इससे पहले घरों या प्राइवेट संस्थानों में झंडा फहराने की छूट नहीं थी।
दूसरा: फ्लैग कोड में तिरंगा झंडा के साथ किए जाने वाले किसी भी तरह के अनादर को अपराध माने जाने की बात कही गई है
तिरंगा झंडा के अपमान का सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, अमिताभ बच्चन जैसे टॉप भारतीय सेलिब्रिटी पर भी आरोप लगे हैं। आइए जानते हैं…
सानिया मिर्जा: 2008 में सानिया पर तिरंगा झंडा के अपमान के आरोप में केस दर्ज हुआ था। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में एक टेनिस की मैच देखने पहुंची सानिया के टेबल पर तिरंगा रखा था और वह उसी के बगल में पैर रखकर बैठी हुईं थी।
सचिन तेंदुलकर: 2010 में सचिन अपना बर्थडे सेलीब्रेट कर रहे थे, इस दौरान उनके बर्थडे केक पर तिरंगे का डिजाइन बना था। इसके बाद ही उन पर झंडे के अपमान का आरोप लगा था।
मंदिरा बेदी: 2011 में मंदिरा बेदी तिरंगे वाली साड़ी पहनकर विवादों में घिर गईं। न सिर्फ पहनने वाले कपड़ों में तिरंगे के इस्तेमाल की मनाही है, बल्कि कमर के नीचे तिरंगा पहनने की भी इजाजत नहीं है। ऐसे में मंदिरा पर झंडे के अपमान का आरोप लगा था।
शाहरुख खान: 2011 में इंडिया के वर्ल्डकप में जीतने पर शाहरुख खान अपनी गाड़ी लेकर रोड पर जश्न मनाने निकल पड़े। इस वक्त वह हाथ में जो तिरंगा लिए थे, वह उल्टा हो गया था। इसके बाद उन पर राष्ट्रीय झंडे के अपमान का आरोप लगा।
फोटो का आभार ऑनलाइन मीडिया