हाथरस हादसे के बाद धीरेंद्र शास्त्री की भक्तों से अपील ?
यूपी पुलिस का एक सिपाही कैसे बना सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार विश्व हरि पॉइंट में समझें.हाथरस हादसे के बाद धीरेंद्र शास्त्री .
हाथरस कांड: यूपी पुलिस का एक सिपाही कैसे बना सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार विश्व हरि पॉइंट में समझें
– खुद को नारायण का अवतार बताकर की सत्संग की शुरुआत।
– बाबा ने अपने आश्रम के द्वार पर बनवा रखा था एक स्टेच्यू, जिसमें वह गरुड़ पर वैठे हैं और हाथ में चक्र धारण किए हैं।
– वर्ष 1997 के दौरान यूपी पुलिस के सिपाही सूरजपाल पुलिस की नौकरी छोड़कर अपने पैतृक गांव बहादुरनगर आते हैं, बहादुरनगर एक छोटा सा गांव है, जो कासगंज जिले की तहसील पटियाली में स्थित है।
– वर्ष 1999 से सूरजपाल एक मारुति 800 कार में अपनी पत्नी के साथ आसपड़ोस के गांव में खुद को बाबा बताकर सत्संग चालू कर देते हैं, और धीरे धीरे वह सूरजपाल से भोले बाबा कहलाने लगते हैं।
– धीरे धीरे भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या बढ़ती जाती है, और अब वह बाबा से सीधे नारायण के अवतार बन जाते हैं।
– 15 से 20 वर्ष पूर्व मैं बाबा को समझने के लिए उनके आश्रम में जाया करता था, उस दौरान कुछ लोगों का मानना था कि उनके आश्रम में काला जादू जैसी तांत्रिक क्रियाएं भी होती थीं, शायद ऐसा बाबा शक्तियों को अर्जित करने के लिए करते होंगे।
– सूरजपाल से भोले बाबा, और भोले बाबा से वह नारायण साकार विश्व हरि बन गए, लेकिन उन्होंने अपनी भेषभूषा में कोई परिवर्तन नहीं किया, सूट बूट कोट पेंट पहनकर ही वह सत्संग करते रहे।
– वर्ष 2014 तक भोले बाबा ने अपने पैतृक गांव बहादुरनगर के आश्रम में ही सत्संग किया, उसके बाद वह आश्रम को छोड़कर देशभर में अलग अलग स्थानों पर पंडाल लगाकर सत्संग करने लगे।
– भोले बाबा के सत्संग में लाखों की भीड़ जुटने लगी, जिस इलाके में उनका सत्संग होता, वहां की सड़कें जाम हो जाया करती थीं।
– 2 जुलाई को सिकंदराराऊ में भी कुछ ऐसा ही हुआ, अनगिनत लोगों की भीड़ उनके सत्संग में पहुंच गई, बाबा सत्संग खत्म कर अपनी कार की ओर जा रहे थे, तभी लोगों की भीड़ उनके चरणों की रज (पैरों की धूल) को उठाने के लिए दौड़ पड़ी, पैरों धूल उठाने की होड़ में लोगों एक के ऊपर एक चढ़ते गए, देखते ही देखते यह होड़ उनके जीवन की आखिरी दौड़ साबित हुई, और इस हादसे में 121 से अधिक लोगों की जान चली गई।