कोचिंग सेंटर हादसे की असली वजह पता चली
दिल्ली के ओल्ड राजैन्द्र नगर के राव IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
दिल्ली के ओल्ड राजैन्द्र नगर के राव IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मुद्दे पर दिल्ली के मुख्य सचिव ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की है। दिल्ली सरकार को सौंपी गई इस रिपोर्ट में छात्रों की मौत से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार कोचिंग का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बंद था और यहां छात्रों की सुरक्षा या बचाव से जुड़ी कोई माकूल व्यवस्था भी नहीं थी।
क्या है मुख्य सचिव की इस खास रिपोर्ट में
1. मुख्य सचिव की रिपोर्ट के अनुसार राव IAS कोचिंग का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से ब्लॉक था। वहीं जलभराव की स्थिति में सुरक्षा के कोई उपाय कोचिंग सेंटर में मौजूद नहीं थे।
2. रिपोर्ट की मानें तो राव IAS कोचिंग सेंटर के पास एक नाला बहता है। आमतौर पर सड़क का पानी उस नाले में जाना चाहिए। मगर इस नाले को ग्रेनाइट, मार्बल और पत्थरों से ढक दिया गया था।
3. कोचिंग सेंटर की पार्किंग सीधे सड़क पर खुलती है। सड़क पर जलभराव होने से पानी ड्रेन में जाने की बजाए राव IAS की पार्किंग में भी घुस जाता था। मगर इससे बचाव या सुरक्षा का कोई भी इंतजाम कोचिंग की तरफ से नहीं किया गया था।
4. नाला बंद होने के कारण इसकी सफाई भी मुमकिन नहीं हो पाती थी। लिहाजा हर साल बरसात के महीनों में कोचिंग सेंटर के सामने भारी संख्या में पानी भर जाता था।
5. हादसे की शाम कोचिंग सेंटर के कर्मचारियों की तरफ से कोई सतर्कता नहीं बरती गई। लिहाजा पानी बेसमेंट में भर गया। इसकी वजह से तीन छात्रों की मौत हो गई।
6. रिपोर्ट में कहा गया कि भारी बारिश के दौरान सड़क पर भरा पानी स्टॉर्मवॉटर ड्रेन के रास्ते बैरल में जाना चाहिए। मगर ड्रेन बंद होने के कारण ये पानी कोचिंग की पार्किंग में भरने लगता है।
7. मुख्य सचिव ने इस रिपोर्ट में ड्रेन ब्लॉकेज को ही हादसे की सबसे बड़ी वजह बताई है। हालांकि इस हादसे से जुड़े कई सवालों पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।
आपको बतादें इस पूरे इलाके में कहीं पर भी पानी निकलने की जगह नहीं है। यही वजह है कि बारिश के दौरान राजेंद्र नगर की सड़कें तालाब बन जाती हैं और कोचिंग आने-जाने वाले बच्चे घुटने से ऊपर पानी में चलने पर मजबूर हो जाते हैं।