केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 50 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। बदलते मौसम के बावजूद किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के साथ डटे हुए है। जिस दिन से किसान प्रदर्शन कर रहे है उसी दिन से उन्हें हटाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। कभी ये अफवाह फैलाना की ये किसान खालिस्तानी है, तो कभी पैसे लेकर प्रदर्शन करने वाले किसानों का दर्जा दिया गया। मगर, इन सबके बाद भी किसान हौसला बनाए विरोध प्रदर्शन कर रहे है। बता दें कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए सरकार और किसानों के बीच अब तक कई बैठकें हो चुकी है, मगर कोई भी समाधान निकल कर नहीं आया है।
बता दें किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बाद अन्य राज्यों के किसानों के जुड़ने से यह आंदोलन अब देशव्यापी हो चुका है। इसी बीच किसानों ने आरोप लगाया है की सरकार और असामाजिक तत्वों की ओर से आंदोलन को कमजोर करने की पूरी कोशिश की जा रही है। मगर, हम अपने फैसले से पिछे नहीं हटेंगें। किसानों का कहना है की जब तक हमारी मागें पूरी नहीं होंगी हम विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।
इतना ही नहीं कल लोहड़ी के त्यौहार के दिन किसानों ने कृषि कानूनों की कॉपी को जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। साथ ही सिंघु बॉर्डर पर बैठे सभी किसान नेता इस कार्यक्रम का हिस्सा रहे और दुल्ला भट्टी को याद करते हुए सरकार को चुनौती दी। किसानों का औरोप हे की जयपुर-दिल्ली हाइवे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। साथ ही किसानों ने अपने हक की लड़ाई में पुलिस से अपील करी की किसानों के साथ परस्पर सहयोग करे।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में यह सवाल किया गया की औरतें और बुजुर्ग इस आंदोलन में क्यों हैं? और कहा की उन्हें घर जाने के लिए कहना चाहिए। जिस पर किसान बेहद नाराज है। किसानों का कहना है की खेती में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है. और यह आंदोलन उनका भी है।