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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने कहा- बढ़ते प्रभाव का सूचक है सुरक्षा परिषद में भारत का प्रवेश

राष्ट्रपति ने कहा-संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए आदर्श हैं

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को  सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना से मनाते हैं। 26 जनवरी का राष्ट्रीय पर्व हम पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हुए  अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए आदर्श हैं। ऐसे में यह उम्मीद की है कि केवल शासन ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का पालन करें।

उन्होंने कहा कि समता, हमारे गणतंत्र के महान यज्ञ का बीज-मंत्र है। सामाजिक समता का आदर्श प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करता है, जिसमें हमारे ग्रामवासी, महिलाएं, अनुसूचित जाति व जनजाति सहित अपेक्षाकृत कमजोर वर्गों के लोग, दिव्यांग-जन और वयो-वृद्ध, सभी शामिल हैं। इस लिए मैं आज फिर इस बात को दोहराऊंगा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विचारों पर मनन करना, हमारी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। हमें हर संभव प्रयास करना है कि समाज का एक भी सदस्य दुखी या अभाव-ग्रस्त न रहे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जिस असाधारण समर्थन के साथ, इस वर्ष, भारत ने अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा-परिषद में प्रवेश किया है वह, भारत के बढ़ते प्रभाव का सूचक है। विश्व-स्तर पर, राजनेताओं के साथ, हमारे संबंधों की गहराई कई गुना बढ़ी है।

 

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