मेरठ। लखनऊ के बाद मेरठ में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का बड़ा खुलासा हुआ है। कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीज के उपचार में प्रयोग होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का सुभारती मेडिकल कालेज में बड़ा मामला सर्विलांस की टीम ने पकड़ा है। सुभारती मेडिकल कॉलेज के ट्रस्टी और उनके बेटे के खिलाफ कालाबाजारी कराने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही सुभारती मेडिकल कालेज के दो कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में बताया कि रेमडेसिविर की जगह डिस्टिल वाटर लगा दिया। जिस कारण इंजेक्शन नहीं मिलने से मरीज की मौत हो गई।
सुभारती मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड स्थित सैकेंड फ्लोर पर गाजियाबाद के कविनगर निवासी शोभित जैन भर्ती थे। शोभित जैन को लगाने के लिए परिवार के लोगों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन सुभारती के वार्ड में काम करने वाले कर्मचारियों को दे दिया। जिसके बाद युवक को इंजेक्शन तो लगाया गया, लेकिन उस इंजेक्शन में केवल डिस्टिल वाटर ही था। शुक्रवार को मरीज शोभित जैन की सांसे थम गई।
इंजेक्शन को सुभारती कालेज के बाहर 25 हजार में बेचा जा रहा था। सूचना के बाद पुलिस ने सुभारती के कर्मचारी आबिद और अंकित को गेट पर ही दबोच लिया। दोनों ने सर्विलांस की टीम के साथ हाथापाई कर दी। उसके बाद अंदर से सुभारती के स्टाफ ने पुलिस से इंजेक्शन छीनने की कोशिश की। बाद में पुलिस बल बुलाकर आबिद और अंकित को पकड़ लिया।
पूछताछ में सामने आया कि इंजेक्शन की जिम्मेदारी सुभारती ग्रुप के ट्रस्टी अतुल कृष्ण भटनागर की थी। साथ ही उनके बेटे डा. कृष्ण मूर्ति के नेतृत्व में इंजेक्शन मरीज को लगाया जाना था। पुलिस ने जानी थाने में अतुल कृषण भटनागर, उनके बेटे डा. कृष्ण मूर्ति कर्मचारी आबिद और अंकित को रेमडेसिविर की कालाबाजारी में नामजद कर दिया। साथ ही आबिद और अंकित को गिरफ्तार कर लिया।
एसपी देहात केशव कुमार ने बताया कि सुभारती में रेमडिसिवर की कालाबाजारी में बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था। उसके बाद इंजेक्शन को बाहर ब्लैक में 25 हजार का बेचा जा रहा था। इसी के चलते एक मरीज शोभित जैन की मौत भी हो चुकी है। एसएसपी ने बताया कि मरीज को डिस्टिल वाटर लगाई गई थी, जबकि रेडमेसिविर को बचा लिया था।
रिपोर्ट- साजिद इदरीसी