Supreme Court पहुंचा मामला, मीट हलाल या झटका? रेस्टोरेंट्स दें जानकारी

योगी सरकार ने दुकान पर नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया, लेकिन ये आदेश 24 घंटे के आदर विवादस्पद हो गया, यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही सुवाई में यूपी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार की कुछ किरकिरी तो हुई, लेकिन सरकार कावड़ियों के नाम पर पीछे नहीं हुई. इसी बीच जब सुप्रीम कोर्ट में नेम प्लेट विवाद को लेकर सुनवाई हो रही थी तो हलाल और झटका मीट का मामला भी गर्मा गया है.

सुप्रीम कोर्ट में मांग की गई है कि कोर्ट आदेश दे कि ढाबे वाले और रेस्टोरेंट्स इस बारे में जानकारी दें कि जो मीट वे परोस रहे हैं, वह झटके है या हलाल का है. लाल और झटका मांस परोसे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. दाखिल की गई याचिका में यूपी सरकार, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को यह आदेश देने की मांग की गई है कि वो अपने यहां ढाबों और रेस्टोरेंट को ये बताने के निर्देश दें कि उनके यहां परोसा जा रहा मांस किस प्रकार का है, यानी झटके का है या हलाल का.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा है कि झटका मांस नहीं देने से पारंपरिक रूप से हशिए पर रहने वाला दलित समुदाय काफी प्रभावित होता है, क्योंकि वो मुख्य तौर पर मांस का ही ही व्यापार करता है.

हलाल और झटका को लेकर बता दें कि यह जानवर को काटने का तरीका होता है. अरबी शब्द हलाल का मतलब जायज होता है. मुस्लिम समुदाय हलाल का मीट खाता है क्योंकि इस्लाम में माना जाता है कि इसी तरह से काटे गए जानवर का मीट खाना सही है. हलाल के वक्त जानवर की गर्दन की नस और सांस लेने वाली नली को काट दिया जाता है. इस दौरान जानवर के खून के बाहर निकलने का इंतजार किया जाता है, जबकि झटके में जानवर को एक ही झटके में मार दिया जाता है.

झटका को लेकर बता दें कि इसमें पहले जानवर को बेहोश किया जाता है और फिर एक झटके में ही जानवर को काट दिया जाता है. अब आप बताइए, दुकान पर नेम प्लेट लगाने के विवाद के बीच खड़े हुए हलाल और झटका विवाद पर आपकी क्या राय है, हमें कमेंट करके जरूर बताए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *