Category Archives: अरुणाचल प्रदेश

बेटी को विवाह पूर्व नौकरी करवाना अधिकांश माता पिता के लिये बना मुसीबत

एक समाजिक समस्या- कमाऊ बेटी
बेटी को विवाह पूर्व नौकरी करवाना अधिकांश माता पिता के लिये बना मुसीबत। आज अधिकांश माता पिता अपनी पुत्रियो को विवाह पूर्व नौकरी करवाकर, अपने लिये एक समस्या तैयार कर लेते है। उन्हें उनके विवाह मे जो समस्यायें आती है उसका हल निकालना उनके लिये, दुष्कर हो जाता है। समस्यायें समझिये इस प्रकार है :

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1 आत्म निर्भर हो जाने के कारण अधिकांश पुत्रियाँ माँ बाप की नही मानती। अपनी पसंद का खानपान, पहनना, खाना पीना आम बात है। बडें या छोटे शहरों में सिगरेट बीयर आम बात है।
2 नौकरियो मे उनका वेतन अधिक होने से उनसे कम वेतन वाले लड़के उन्हे पसन्द नही आते। पढी लिखी और कमाऊ लडकी, कम पढ़े लिखे लड़के को लात मार देती है जबकि लड़के, अनपढ लडकियों संग सफल जिन्दगी गुजारते हैं।
3 अपने शहर हो या अन्य शहर, मे नौकरी करने के कारण उनके विजातीय लड़को से संपर्क होता ही है। जान पहचान दोस्ती के बाद रिलेशिनशिप की संभावना से इन्कार नही किया जा सकता। लोक लाज और संस्कार संस्कृति बचाना कठिन है।
4 एक बार नौकरी करने पर नौकरी छोड़ने को तैयार नही होती। जिस शहर मे नौकरी करती है उसी शहर में ही उस कार्यरत लड़की से, अधिक पेकेज वाला, उसी शहर का रहने वाला सजातीय वर चाहिये जो कि माता पिता के लिये जटिल कार्य है।
5 ऐसा अक्सर देखा गया है कि जबरन लोकलाज में विवाह हो भी जाए तो विवाह विच्छेद यानि तलाक हो जाते हैं जिसका प्रमुख कारण, अनैतिक संबंध व नशे को दिया जाता है।
6 मां बाप की शर्त को दरकिनार कर, ये कमाऊ लडकियां- दूसरे जाति प्रदेश भाषा यहां तक कि धर्म को भी ताक पर रखके, कोर्ट मैरिज करके घर में रहती है। नौकरी करती हैं। समय आने पर निकल लेती हैं।
7 कमाऊ लड़की की सभी गतिविधियों में सहायक के रूप में मां और बहन रहती है और बेचारा पिता शर्त की लिस्ट निकल लेकर, एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे भटकता है।
ऐसे वर की तलाश मे उनकी विवाह की उम्र निकल जाती है। ऐसा वर ढूँढ़ना उन के लिये क्या किसी के लिये भी मुश्किल कार्य है।
अत: सभी माता पिता से निवेदन है कि यह निर्णय ना ले कि कन्या को कुछ वर्ष नौकरी करा ले फिर शादी करेंगे अन्यथा आप निश्चित रुप से जटिल समस्या का सामना करने को तैयार रहे। यह सुझाव आपको उस वक्त याद आयेगा जब आप भी कई लोगो की तरह अपनी पुत्री के विवाह के लिये जटिल समस्या मे फंसे होंगे। इसलिए अपनी बेटियों का विवाह समय पर करें ।
नोट- सभी शहरों में कमाने वाली हिन्दू लड़कियों से छल कपट धोखा से व नाम जाति धर्म छुपाकर, तमाम हवाई सपने दिखाकर फंसाने की टीम है। विदेशी चमक धमक गिफ्ट.. धर्मपरिवर्तन निकाह बच्चे और फिर तलाक। कमाओ और बच्चे को संभालो। 2-3 तलाक के बाद ये फिर हिन्दू पिता की संपत्ति में हिस्सा लेने आती है क्योंकि ससुराल पक्ष तो फटीचर है।

21 राज्यों में कम केस, आंशिक लॉकडाउन जारी,देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के 48 हजार से अधिक मामले

केरल में अचानक बढ़े केस

केरल में अचानक कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। केरल के आंकड़े डरा रहे हैं। यहां बीते दो दिनों से नए केस 13,500 से ज्यादा आ रहे हैं। इससे पहले 21 जून को यह संख्या घटकर 7,449 तक पहुंच गई थी।

इसके साथ ही देश के 21 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं जहां कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। इन राज्यों में आंशिक लॉकडाउन है। यहां पाबंदियां के साथ छूट भी है। इनमें बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और गुजरात शामिल हैं।

देश के दस राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आ रही है। देश के इन 10 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी शामिल हैं। यहां लॉकडाउन जैसे कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।

देश में कोरोना महामारी की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार जारी है। देश में अब कोरोना के रोजाना मामले 50 हजार से कम हो चुके हैं तो वहीं मौतों की संख्या भी एक दिन में हजार तक हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 48,786 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान देश भर में कोरोना संक्रमण के कारण 1005 मरीजों की मौत हुई है।

इसके साथ ही देश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। कोरोना के सक्रिय मामले भी लगातार कम हो रहे हैं। देश में बीते 24 घंटों में 61588 लोग कोरोना ठीक हुए है। इस तरह एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी बीते एक दिन में 13,807 की कमी आई है।

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Corona Virus India | जानिए अपने राज्य कि कोरोना वायरस कि ताज़ा खबर | Covid Update

कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (NDMA) को COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए

#सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन मुआवजे के हकदार#कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (NDMA) को COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए#

सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 के कारण मरने वालों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग वाले मामले पर बुधवार को जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकरण (NDMA) को COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि COVID-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन मुआवजे के हकदार हैं।

NDMA को 6 सप्ताह का समय देते हुए कहा गया है कि यह राज्यों को इस बारे में निर्देश दे। कोर्ट ने मामले में मुआवजा तय करना NDMA का वैधानिक कर्तव्य बताया और कहा कि इसके लिए रकम तय करना सरकार का काम है क्योंकि उसे कई और आवश्यक खर्चे भी हैं। इसके अलावा कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी आसान प्रक्रिया बनाने की बात कही है।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कोविड-19 के कारण मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देना संभव नहीं क्योंकि सरकार के पास सीमित संसाधन है। मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे यदि मुआवजे की राशि दी जाती है तो सरकार का आपदा राहत कोष खाली हो जाएगा। इससे अन्य राहत कार्यों व फैसलेे पर असर होगा। सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया कि दुर्लभ संसाधनों का मुआवजा देने के लिए इस्तेमाल करने से, महामारी के खिलाफ कदमों और दूसरे मामलों में स्वास्थ्य पर खर्च प्रभावित हो सकता है।

एडवोकेट गौरव कुमार बंसल  और रीपक कंसल  द्वारा दर्ज याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। बंसल ने आपदा प्रबंधन अधिनियम (DMA) के सेक्शन 12 (iii) का हवाला दिया और मुआवजे की मांग की। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अधिकरण को आपदा के कारण प्रभावित हुए लोगों को राहत के न्यूनतम मापदंडों के लिए दिशानिर्देश की सिफारिश करनी चाहिए, जिसमें मुआवजा शामिल हो।

आपदा क्षति के लिए यूपी समेत इन 5 राज्यों को केंद्र सरकार ने दी 1,751 करोड़ रुपये की मदद

नई दिल्ली।  केंद्र सरकार ने दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन 2020 के दौरान अतिवृष्टि व बाढ़ के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए पांच राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश) को 1751 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त सहायता मंजूर की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने यह सहायता राशि मंजूर की है।

गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार असम को सर्वाधिक 437.15 करोड़, अरुणाचल प्रदेश को 75.86 करोड़,  ओडिशा को 320.94 करोड़, तेलंगाना को 245,96 करोड़ और यूपी को 386.06 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद मुहैया कराई गई है।

बता दें कि सभी पांच राज्यों में केंद्र सरकार ने प्रभावित राज्य सरकारों से ज्ञापन मिलने का इंतजार किए बिना आपदाओं के तुरंत बाद अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल तैनात कर दिए थे।

इसके अलावा  वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान अब तक केंद्र सरकार एसडीआरएफ से 28 राज्यों को 19,036.43 करोड़ रुपये और एनडीआरएफ से 11 राज्यों को 4,409.71 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है।

 

 

अरुणांचल प्रदेश में जेडीयू को बड़ा झटका, भाजपा में शामिल हुए 6 विधायक

बिहार में भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को अरुणाचल प्रदेश में बड़ा झटका लगा है। जेडीयू के 6 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
बीजेपी में शामिल होने वाले विधायकों में तलेम तबोह, जिक्के ताको, हयेंग मंगफी, दोर्जी वांग्डी खर्मा, डोंग्रु सियोंग्जु, कांगोंग ताकू हैं।
इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश राज्य विधान सभा की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) के एक विधायक भी बीजेपी (BJP) में शामिल हुए हैं। पीपीए के लिकाबाली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक करदो निग्योर भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 7 सीटें जीतीं थी। साथ ही वो बीजेपी के बाद राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। बीजेपी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 41 सीटें जीतीं थीं।
जेडीयू और पीपीए के विधायकों के बीजपी में शामिल होने के बाद अब 60 सदस्यों वाली अरुणाचल विधानसभा में बीजेपी के 48 विधायक हो गए हैं। इसके अलावा जेडीयू के पास 1 विधायक और कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार-चार विधायक हैं।