Category Archives: छत्तीसगढ़

श्री महाकाल मंदिर का दूसरा चरण: एक मकान पर कार्रवाई… 8 ने दिखाया स्टे आर्डर

उज्जैन:  श्री महाकालेश्वर मंदिर लोक के सेकेंड फ़ैज़ के कार्य शुरू होने के पहले विस्तारी करण में महाकाल मंदिर से लगे 9 बड़े मकानों को हटाने जिला प्रशासन की पहुची टीम, मकान तोड़ने का हुआ भारी विरोध, पुलिस के साथ राजस्व विभाग के साथ नगर निगम की टीम मौके पर। 8 मकान मालिक लाये कोर्ट का स्टे. एक मकान पर कार्रवाई.

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उज्जैन के थाना महाकाल क्षेत्र अंतर्गत श्री महाकाल महा लोक के दूसरे चरण के कार्य की शुरुआत में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई आज गुरुवार से शुरू कर दी गई है लेकिन इस बीच एक बड़ा विवाद देखने को मिला है। महाकाल मंदिर से लगे 9 मकान को हटाने जब टीम पहुंची तो मकान मालिकों ने कोर्ट का स्टे दिखा कर कार्रवाई रोकने का प्रयास भी किया।

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दूसरे चरण के कार्यो को शुरू करने से पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर के बाहर स्थित बड़ा गणेश मंदिर के पास जब टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची तो 9 मकानों को चिन्हित कर निगम, राजस्व व पुलिस की टीम पहुंची लेकिन 8 मकान मालिकों ने न्यायालय से स्टे ले रखा है व एक को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है इसी बीच जब पुलिस और प्रशासनिक अमले ने परिवार जनों को बाहर निकालने की कोशिश की तो परिजनों ने पुलिसकर्मी व प्रशासनिक अमले से हाथापाई की।

छत्तीसगढ़ हेलीकॉप्टर हादसे पर राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश, मृतक पायलटों के परिजनों को राहत मुहैया कराने को कहा…

desk : छत्तीसगढ़ के रायपुर एयरपोर्ट पर बीती रात बड़ा हादसा हो गया है. एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर हो गया जिसमें दो पायलटों की मौत हो गई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हादसे पर दुख जताते हुए मृतक पायलटों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं दी हैं.

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रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि इस हादसे में कैप्टन गोपाल कृष्ण पांडा और कैप्टन एपी श्रीवास्तव की मौत हुई है. हेलीकॉप्टर 9 बजकर 10 मिनट पर क्रेश हुआ है. घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर दुख जताते हुए कहा कि, अभी रायपुर में एयरपोर्ट पर स्टेट हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की दुखद सूचना मिली. इस दुखद हादसे में हमारे दोनों पायलट कैप्टन पंडा और कैप्टन श्रीवास्तव का दुखद निधन हो गया है. इस दुःख की घड़ी में ईश्वर उनके परिवारजनों को संबल एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे.

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हेलीकॉप्टर क्रैश पर राज्य सरकार की तरफ से आधिकारिक बयान आया है. राज्य सरकार का हेलीकॉप्टर है जो आज रात 9:10 मिनट में लैंडिंग के दौरान क्रैश हुआ है. इसमें सवार दो पायलेट की मौत हुई है. हेलीकॉप्टर नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था इसके बाद अचानक क्रैश हुआ है. प्रारंभिक रूप से हादसे के पीछे तकनीकी खराबी बताई गई है. हादसे का सटीक कारण पता लगाने के लिए डीजीसीए और राज्य सरकार के आदेश पर विस्तृत तकनीकी जांच की जाएगी. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मृतक पायलेट के परिवारों को तत्काल राहत मुहैया कराने का आदेश दिया गया है.

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24 घंटे में 91 हजार नए मामले,देश में कोरोना कहर

भारत में बीते 24 घंटे में कोरोना के रिकार्ड मामले सामने आए हैं। बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना के लगभग 91 हजार नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 325 लोगों की कोरोना से मौत भी हुई है। वहीं, 19,206 मरीज रिकवर हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 90,928 नए मामले आए। इसके साथ ही कोरोना के कुल मामले बढ़कर 3,51,09,286 हो गए हैं। वहीं, सक्रिय मामले बढ़कर 2,85,401 हो गए हैं। इसके अलावा कुल मृतकों की संख्या बढ़कर 4,82,876 हो गई है।देश में लगभग 200 दिन बाद कोरोना के इतने नए मामले सामने आए हैं। इससे पहले 10 जून को 92,291 नए मामले सामने आए थे। वहीं, मंगलवार को कोरोना के 58 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे।

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कोरोना वायरस के वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले भी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि ओमिक्रोन के मामले बढ़कर अब 2,630 हो गए हैं। इसके अलावा 995 मरीज रिकवर भी हो चुके हैं। महाराष्ट्र में ओमिक्रोन के सबसे ज्यादा मामले हैं। महाराष्ट्र में ओमिक्रोन के 797 जबकि देश की राजधानी दिल्ली में इसके कुल मामले 465 हो गए हैं।

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दिल्ली में अब वीकेंड कर्फ्यू लागू, पूरी कैपेसिटी से चलेंगी मेट्रो और बस, बिना मास्क प्रवेश नहीं

राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब वीकेंड कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। इससे पहले सरकार की ओर से येलो अलर्ट जारी कर दिया गया था। इन दिनों कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए येलो अलर्ट के हिसाब से काम किया जा रहा है। मंगलवार को हुई डीडीएमए की बैठक में अन्य पाबंदियों पर भी चर्चा की गई। इसके तहत अब सरकारी कार्यलयों में 50 फीसद कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे और 50 फीसद आफलाइन काम करेंगे। केवल अनिवार्य सेवाओं के लिए कार्यालय खुले रहेंगे। दिल्ली में प्राइवेट कार्यालयों में भी 50 प्रतिशत स्टाफ को काम करने की इजाजत होगी।

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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि एक समस्या ये भी आ रही थी कि बस स्टाप, मेट्रो स्टेशन सुपर स्प्रेडर बनने के संकेत मिल रहे थे। यहां लंबी लाइनें लग रही थी। इसको देखते हुए अब ये तय किया गया है कि बसें और मेट्रो पूरी कैपेसिटी पर चलेंगी मगर बिना मास्क के किसी को प्रवेश नहीं मिलेगा। बिना मास्क के मेट्रो और बस में यात्रा करना पूरी तरह से वर्जित रहेगा। उधर सख्त पाबंदियों को लागू करने के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक बुलाई गई थी। इसी बैठक में राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों की स्थिति की समीक्षा की गई। समीक्षा के बाद कुछ चीजें तय की गई। बैठक में राजधानी में कड़े नियम लागू करने पर भी विचार किया गया, इसके तहत ही वीकेंड कर्फ्यू लागू करने पर सहमति बनी।

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बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेसवार्ता की और वीकेंड कर्फ्यू के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ओमिक्रोन के केस लगातार बढ़ रहे हैं। मगर इससे नुकसान ज्सादा नहीं हो रहा है। पिछले आठ-दस दिन में कुल मरीज 11 हजार आए हैं। मगर अस्पतालों में 300 के करीब मरीज हैं। आक्सीजन पर 120 के करीब हैं, सात लोग वेंटिलेटर पर हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि मरीज घर पर रहकर ही होेम आइसोलेशन में रहें।

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सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में डीडीएमए की बैठक हुई है। फैसला लिया गया है कि दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू लगेगा, जरूरी सामान की दुकानें खुली रहेंगी। सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत स्टाफ ही करेगा काम। बाकी का घर से काम करेगा। सरकारी कार्यलयों में आनलाइन या वर्क फ्राम होम लागू होगा, केवल अनिवार्य सेवाओं के कार्यालय खुले रहेंगे। प्राइवेट कार्यालयों में 50 प्रतिशत स्टाफ को काम करने की इजाजत होगी। सभी डीएम और डीसीपी को इसे सख्ती से लागू कराने के लिए कहा गया है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत छह प्रतिशत संक्रमण दर व चार हजार से अधिक कोरोना मामले सोमवार को दर्ज होने के बाद राजधानी अब रेड अलर्ट की स्थिति में पहुंच चुकी है। ग्रेप के तहत लगातार दो दिनों तक पांच प्रतिशत से अधिक संक्रमण दर होने पर रेड अलर्ट जारी किया जा सकता है।

महाराष्ट्र में 12 हजार, दिल्ली में चार हजार, पश्चिम बंगाल में छह हजार मामले-देश में कोरोना संक्रमण के मामले

देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। ओमिक्रोन के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, मामलों में बढ़ोतरी के लिए ओमिक्रोन वैरिएंट कितना जिम्मेदार है यह अभी कहना संभव नहीं है, क्योंकि नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग की जरूरत पड़ रही है और सभी संक्रमितों का जीनोम सीक्वेंसिंग करना बहुत कठिन काम है। परंतु, मृतकों की संख्या नियंत्रित रहने से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ज्यादातर मामले ओमिक्रोन के ही मिल रहे हैं, भले ही आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो रही हो। अभी तक के अध्ययन से यह साफ हुआ है कि ओमिक्रोन संक्रामक ज्यादा है घातक कम। सोमवार शाम को जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 4,099 नए मामले सामने आए। इसमें एक मरीज की मौत हुई। सक्रिय मामले 10,986 हैं और पॉजिटिविटी दर 6.46 प्रतिशत है। एक दिन पहले कोरोना के 3194 मामले आए थे। इसलिए 24 घंटे में नए मामले 28.33 प्रतिशत बढ़ गए हैं। वहीं तीन दिन में मामले दोगुने से ज्यादा हो रहे हैं।

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महाराष्ट्र में सोमवार को कोरोना के 12160 नए मामले सामने आए और 11 मौतें हुईं। सक्रिय मामले 52422 है। ओमिक्रोन केस 578 हैं, इनमें से 259 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं। इधर, मुंबई में कोरोना के 8082 नए मामले सामने आए और दो लोगों की मौत हुई है। 622 डिस्चार्ज हुए। सक्रिय मामले 37274 हैं। पश्चिम बंगाल में सोमवार को लगातार छठे दिन कोविड के मामलों में तेज उछाल देखा गया। लगातार दूसरे दिन छह हजार से अधिक यानी कुल 6,078 नए मामले सामने आए। इनमें से 2801 नए मामले अकेले राजधानी कोलकाता से हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना के 572 नए मामले सामने आए हैं, 34 लोग डिस्चार्ज हुए और कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई है। इस दौरान सक्रिय मामलों की संख्या 2,261 है।

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गुजरात में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,259 नए मामले सामने आए है। तीन मरीजों की मृत्यु हुई और सक्रिय मामलों की संख्या 5,858 है। तमिलनाडु में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1,728 नए मामले सामने आए, छह मरीज़ों की मृत्यु हुई और 662 मरीज ठीक हुए हैं। सक्रिय मामले 10,364 हैं। बिहार ने 2 जनवरी को 344 नए कोरोना के मामले दर्ज किए गए। राज्य में 1,385 सक्रिय मामले हैं। हिमाचल प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 137 नए कोरोना के मामले आए हैं। इनमें 37 मरीज ठीक हुए और एक मौत दर्ज की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सोमवार सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में 33,750 नए मामले मिले हैं और 123 और मौतें हुई हैं। एक दिन पहले 27 हजार से कुछ ज्यादा केस मिले थे। सक्रिय मामलों में 22,781 की बढ़ोतरी हुई है और वर्तमान में सक्रिय मामले बढ़कर 1,45,582 हो गए हैं जो कुल मामलों का 0.42 प्रतिशत है। कुल संक्रमितों का आकंड़ा 3.50 करोड़ के करीब पहुंच गया है और मतृकों की संख्या भी 4.81 लाख हो गई है। दैनिक राष्ट्रीय संक्रमण दर बढ़कर 3.84 प्रतिशत हो गया है और साप्ताहिक संक्रमण दर 1.68 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

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ओमिक्रोन के मामलों में भी तेज बढ़ोतरी हो रही है। कुल मामले बढ़कर 1,757 हो गए हैं। इनमें से 687 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं या अन्य स्थानों पर चले गए हैं। ओमिक्रोन के मामले 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सामने आ हैं। सबसे अधिक महाराष्ट्र में 510, दिल्ली में 351 और केरल में 181 मामले मिले हैं। सोमवार को शाम छह बजे तक मिली सूचना के मुताबिक केरल में 29, कर्नाटक में 10 और गोवा में चार और नए मामले मिले हैं।अब तक 146.63 करोड़ डोज लगाई गईं कोविन पोर्टल के शाम छह बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना रोधी वैक्सीन की 146.63 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं। इनमें 85.38 करोड़ पहली और 61.25 करोड़ दूसरी डोज शामिल हैं। सोमवार से 15-18 वर्ष आयुवर्ग के किशोरों का टीकाकरण भी शुरू हो गया है।

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राज्य – कुल मामले – स्वस्थ हुए

*महाराष्ट्र – 510 – 193

*दिल्ली – 351 – 57

*केरल – 181 – 42

*गुजरात – 136 – 85

*राजस्थान – 120 – 86

*तमिलनाडु- 121 – 98

*तेलंगाना – 84 – 33

*हरियाणा – 63 – 40

*ओडिशा – 37 – 1

*कर्नाटक – 76 – 18

*आंध्र प्रदेश- 17 – 3

*बंगाल – 20 – 4

*मध्य प्रदेश 10 – 9

*उत्तर प्रदेश – 8 – 4

*उत्तराखंड – 8 – 5

*गोवा 5 – 1

*चंडीगढ़ – 3 – 2

*जम्मू-कश्मीर – 3 – 3

*अंडमान 2 – 0

*पंजाब 1 – 1

*हिमाचल 1 – 1

*लद्दाख – 1 – 1

*मणिपुर 1 – 0

(आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय )

ऐसे पहचानें ओमिक्रोन के लक्षण और करें मुकाबला-ओमिक्रोन सेडरिए नहीं !

ओमिक्रोन की दहशत के बीच मेरठ और आसपास के जिलों में इनदिनों कोरोनावायरस पांव पसारने लगा है। ओमिक्रोन से बचाव रखना जरूरी है। चिकित्‍सकों के मुताबिक ओमिक्रोन के शुरुआती लक्षणों में कमजोरी महसूस होना, नाक बहना, गले में खराश व सुगंध न आना आदि शामिल है। यदि ऐसा होता है तो इन लक्षणों को गंभीरता के साथ लें और तुरंत डाक्‍टर को दिखाए और उनकी सलाह लें। घर से बाहर निकलते वक्‍त हमेशा मास्‍क पहनकर ही निकलें। ज्‍यादा जरूरी होने पर घर से बाहर निकलें। भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। मेरठ में भी ओमिक्रोन ने दस्‍तक दे दी है।

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मेरठ में मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग ने बताया कि डेल्टा वैरिएंट की आर-वैल्यू यानी एक व्यक्ति से 1.6 लोगों में संक्रमण फैल रहा था, जो ओमिक्रोन में 2.0 पाई गई है। दोनों वायरसों की संक्रमण दर में दोगुने का भी अंतर नहीं मिला है। लेकिन वायरस के बदलते रूप को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं मेरठ मेडिकल कालेज के कार्यवाहक प्राचार्य डा. ज्ञानेश्वर टांक का कहना है कि मेडिकल कालेज में 20 बेडों का ओमिक्रोन वार्ड बनाया जा रहा है। इस वायरस से संक्रमित होने वालों में कई नए लक्षण मिल रहे हैं। मेरठ में ही सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर भी यूरोप के बाद भारत आई थी। ओमिक्रोन के बड़ी संख्‍या में मरीज मिल चुके हैं। वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि संक्रमण की नई लहर जनवरी-फरवरी 2022 में तेजी पकड़ सकती है। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग ने बताया कि आरएनए वायरस में म्यूटेशन होता रहता है, ऐसे में ओमिक्रोन आने वाले दिनों में ज्यादा खतरनाक बन सकता है या कमजोर पड़ जाएगा।

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बिरसा मुंडा: ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह करनेवाले पहले आदिवासी वीर!

बिरसा मुंडा: ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह करनेवाले पहले आदिवासी वीर!
‘‘मैं केवल देह नहीं मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ पुश्तें और उनके दावे मरते नहीं मैं भी मर नहीं सकता मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता उलगुलान! उलगुलान!! उलगुलान!!!’’ ‘बिरसा मुंडा की याद में’ शीर्षक से यह कविता आदिवासी साहित्यकार हरीराम मीणा ने लिखी हैं। ‘उलगुलान’ यानी आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर दावेदारी का संघर्ष। बिरसा मुंडा भारत के एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक थे। अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में उनकी ख्याति जग जाहिर थी। सिर्फ 25 साल के जीवन में उन्होंने इतने मुकाम हासिल किये कि हमारा इतिहास सदैव उनका ऋणी रहेगा। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को वर्तमान झारखंड राज्य के रांची जिले में उलिहातु गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम करमी हातू और पिता का नाम सुगना मुंडा था। उस समय भारत में अंग्रेजी शासन था।

आदिवासियों को अपने इलाकों में किसी भी प्रकार का दखल मंजूर नहीं था। यही कारण रहा है कि आदिवासी इलाके हमेशा स्वतंत्र रहे हैं। अंग्रेज़ भी शुरू में वहां जा नहीं पाए थे, लेकिन तमाम षड्यंत्रों के बाद वे आख़िर घुसपैठ करने में कामयाब हो गये। बिरसा पढ़ाई में बहुत होशियार थे इसलिए लोगों ने उनके पिता से उनका दाखिला जर्मन स्कूल में कराने को कहा। पर इसाई स्कूल में प्रवेश लेने के लिए इसाई धर्म अपनाना जरुरी हुआ करता था तो बिरसा का नाम परिवर्तन कर बिरसा डेविड रख दिया गया। कुछ समय तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने जर्मन मिशन स्कूल छोड़ दिया क्योंकि बिरसा के मन में बचपन से ही साहूकारों के साथ-साथ ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह की भावना पनप रही थी। इसके बाद बिरसा ने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ़ लोगों को जागृत किया तथा आदिवासियों की परम्पराओं को जीवित रखने के कई प्रयास किया। 1894 में बारिश न होने से छोटा नागपुर में भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे समर्पण से अपने लोगों की सेवा की। उन्होंने लोगों को अन्धविश्वास से बाहर निकल बिमारियों का इलाज करने के प्रति जागरूक किया। सभी आदिवासियों के लिए वे ‘धरती आबा’ यानि ‘धरती पिता’ हो गये।

अंग्रेजों ने ‘इंडियन फारेस्ट एक्ट 1882’ पारित कर आदिवासियों को जंगल के अधिकार से वंचित कर दिया। अंग्रेजों ने ज़मींदारी व्यवस्था लागू कर आदिवासियों के वो गाँव, जहां वे सामूहिक खेती करते थे, ज़मींदारों और दलालों में बांटकर राजस्व की नयी व्यवस्था लागू कर दी। और फिर शुरू हुआ अंग्रेजों, जमींदार व महाजनों द्वारा भोले-भाले आदिवासियों का शोषण। अंग्रेजों ने ‘इंडियन फारेस्ट एक्ट 1882’ पारित कर आदिवासियों को जंगल के अधिकार से वंचित कर दिया। अंग्रेजों ने ज़मींदारी व्यवस्था लागू कर आदिवासियों के वो गाँव, जहां वे सामूहिक खेती करते थे, ज़मींदारों और दलालों में बांटकर राजस्व की नयी व्यवस्था लागू कर दी। और फिर शुरू हुआ अंग्रेजों, जमींदार व महाजनों द्वारा भोले-भाले आदिवासियों का शोषण। इस शोषण के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी फूंकी बिरसा ने। अपने लोगों को गुलामी से आजादी दिलाने के लिए बिरसा ने ‘उलगुलान’ (जल-जंगल-जमीन पर दावेदारी ) की अलख जगाई।
1895 में बिरसा ने अंग्रेजों की लागू की गयी ज़मींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-ज़मीन की लड़ाई छेड़ी। यह सिर्फ कोई बग़ावत नहीं थी। बल्कि यह तो आदिवासी स्वाभिमान, स्वतन्त्रता और संस्कृति को बचाने का संग्राम था।

बिरसा ने ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ यानि ‘हमारा देश, हमारा राज’ का नारा दिया। देखते-ही-देखते सभी आदिवासी, जंगल पर दावेदारी के लिए इकट्ठे हो गये। अंग्रेजी सरकार के पांव उखड़ने लगे। और भ्रष्ट जमींदार व पूंजीवादी बिरसा के नाम से भी कांपते थे। अंग्रेजी सरकार ने बिरसा के उलगुलान को दबाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन आदिवासियों के गुरिल्ला युद्ध के आगे उन्हें असफलता ही मिली। 1897 से 1900 के बीच आदिवासियों और अंग्रेजों के बीच कई लड़ाईयां हुईं। पर हर बार अंग्रेजी सरकार ने मुंह की खाई। जिस बिरसा को अंग्रेजों की तोप और बंदूकों की ताकत नहीं पकड़ पायी, उसके बंदी बनने का कारण अपने ही लोगों का धोखा बनी। जब अंग्रेजी सरकार ने बिरसा को पकड़वाने के लिए 500 रूपये की धनराशी के इनाम की घोषणा की तो किसी अपने ही व्यक्ति ने बिरसा के ठिकाने का पता अंग्रेजों तक पहुंचाया।
जनवरी 1900 में उलिहातू के नजदीक डोमबाड़ी पहाड़ी पर बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे, तभी अंग्रेज सिपाहियों ने चारो तरफ से घेर लिया। अंग्रेजों और आदिवासियों के बीच लड़ाई हुई। औरतें और बच्चों समेत बहुत से लोग मारे गये। अन्त में बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये।

9 जून 1900 को बिरसा ने रांची के कारागार में आखिरी सांस ली। 25 साल की उम्र में बिरसा मुंडा ने जिस क्रांति का आगाज किया वह आदिवासियों को हमेशा प्रेरित करती रही है। हिंदी साहित्य की महान लेखिका व उपन्यासकार महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यास ‘जंगल के दावेदार’ में बिरसा मुंडा के जीवन व आदिवासी स्वाभिमान के लिए उनके संघर्ष को मार्मिक रूप से लिखा है। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है। बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका मूर्ति भी लगी है। उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा भी है। बिरसा के जाने के इतने सालों बाद आज भी उनका संग्राम जारी है। बहुत से आदिवासी संगठन हैं, जो जंगल पर दावेदारी के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं। इन सभी ने मिलकर बिरसा का उलगुलान जारी रखा है। इन सभी के प्रेरणास्रोत हैं बिरसा मुंडा।

भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव से मिले राहुल गांधी-छत्तीसगढ़ में जारी तनाव

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और राज्य स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (T S Singh Deo) से मुलाकात की। छत्तीसगढ़ में जारी तनाव के समाधान को लेकर आज यह मुलाकात की गई। राहुल गांधी के आवास पर हुई इस मुलाकात के दौरान छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया (P L Punia) और AICC जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल (K C Venugopal) भी मौजूद थे।

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सिंहदेव और बघेल के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई साल के फार्मूले को लेकर तनाव है। सिंहदेव का कहना है कि 2018 के चुनाव में जीत के समय ढाई-ढाई साल के फार्मूले का प्रस्ताव रखा गया था। दोनों ने कहा है कि वे पार्टी हाई कमान के फैसला मानेंगे। इस साल जून में छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। बैठक से पहले सिंहदेव ने कहा था, ‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी हमारे नेता हैं और वे जो कहेंगे वही हम मानेंगे।’ बघेल ने भी कहा था कि पार्टी के आलाकमान का जो फैसला होगा हम उसे ही मानेंगे। पंजाब और राजस्थान में भी कांग्रेस के सामने ऐसी ही मुश्किलें हैं।

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टीएस सिंह देव के समर्थकों ने मुख्यमंत्री के पद के ढाई साल का मुद्दा उठाया था। हालांकि कांग्रेस ने कभी छत्तीसगढ़ में इस ढाई साल के फार्मूले की बात नहीं की है लेकिन टीएस सिंह देव के समर्थकों का दावा है कि उन्हें अंतिम ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था। बता दें कि दिसंबर 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद छत्तीसगढ़ में बघेल और राज्य के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे। राज्य में नई सरकार के गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई वर्ष के फार्मूले को लेकर चर्चा की शुरुआत हो गई थी। 17 दिसंबर वर्ष 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ बघेल को दिलवाई गई वहीं सिंहदेव और साहू को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। राज्य में तब से चर्चा है कि बघेल और सिंहदेव के बीच ढाई-ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद के लिए सहमति बनी है।

छत्तीसगढ़ में केवल कागजों पर ही हैं अच्छी शिक्षा की व्यवस्था वास्तविकता में नजर डाला जाए तो शिक्षा व्यवस्था अपाहिज नजर आता है।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को लेकर नेताओं द्वारा तो बड़े-बड़े दावे किए ही जा रहे थे जिस पर मुहर लगाते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारी भी वाहवाही लूटते हुए नजर आते हैं जी हा लगातार छत्तीसगढ़ में नेताओं और अधिकारियों द्वारा आम जनताओ को शिक्षा व्यवस्था के बारे में बड़े-बड़े सपने तो दिखाए जाते हैं परंतु ये सपने तब चूर-चूर हो जाते हैं जब खुले आसमान में पढ़ रहे छोटे-छोटे मासूम बच्चों के मुंह से यह आवाज निकल कर आता है कि हमें पढ़ने का तो बहुत शौक है परंतु हमारे गांव में एक स्कूल नहीं जिसके चलते हम कड़ी धूप, भरी बरसात और कड़ाके की ठंड में खुले आसमान पर पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं।जी हां दरअसल पूरा मामला छत्तीसगढ़ जांजगीर चांपा जिले के नवागढ़ ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत टुरी (हीरागढ़) नामक एक छोटे से गांव का है जहां उस गांव में पढ़ने के लिए छोटे-छोटे 105 छात्र तो हैं परंतु उन्हें पढ़ाने के लिए वहां प्राथमिक शाला स्कूल की व्यवस्था नहीं है जिसके चलते यह मासूम से बच्चे खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं। जहा खंडहर जैसा एक जर्जर अतिरिक्त भवन है जिस पर भरी बरसात में अपनी जान को जोखिम में डालकर ये मासूम से बच्चे वहां शिक्षा ग्रहण करते हुए नजर आते हैं, इस भवन की हालत इतनी जर्जर है कि बरसात में दो बूंद बारिश क्या नहीं होता उस अतिरिक्त भवन के छत से जगह जगह से पानी टपकने लगते हैं और दीवारों पर इतने बड़े-बड़े दरार आ चुके हैं कि मानो हवा का थोड़ा सा झोखा क्या नहीं पड़ा भवन कभी भी खंडहर में तब्दील हो जाएगा ऐसे भवन पर 105 मासूम से छात्र अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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जब इस पूरे मामले में वहां के शिक्षकों से बात किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि विगत कई वर्षों से यहां एक छोटा सा प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहा था जिस पर यहां बच्चे पढ़ाई कर रहे थे परंतु 3 वर्ष बीत चुका वह प्राथमिक शाला स्कूल खंडार में तब्दील हो चुका है जिसके छत गिरने लगे हैं दीवारों पर बड़े-बड़े दरार आ चुके हैं जिसके चलते बच्चे उस स्कूल में बैठकर शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते है तो वहीं प्रशासन के द्वारा यहां निर्माण कराए गए एक अतिरिक्त भवन है भी है जिस भवन की हालत भी बत्त से बत्तर है भरी बरसात में इस भवन के छत से पानी टपकते हैं और दीवारों पर बड़े-बड़े दरार आ चुके हैं कभी भी यह भवन खंडहर में तब्दील हो जाएगा परंतु मजबूरन हमे बरसात के चलते इस भवन के अंदर बच्चों को बैठाकर पढ़ाने को मजबूर रहते हैं।

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 ग्राम पंचायत टूरी(हीरागढ़) में शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन निर्माण के लिए वहां के शिक्षकों द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में आवेदन दिया जा चुका है परंतु यह अधिकारी केवल आश्वासन देते हुए नजर आते हैं और 3 वर्ष बित जाने को है अब तक यहां एक शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है जिसके चलते ये मासूम से बच्चे अपनी जान को जोखिम में डालकर यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं जब भी अधिकारियों से इन बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल भवन निर्माण की बात कही जाती है तो वे इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं और इन मासूम से बच्चों की आवाज को सुनकर भी इन घूसखोर अधिकारी और दलाल नेताओं के कानों में जूं तक नहीं रेंगती और केवल झूठे आश्वासन ही इनके द्वारा दिए जाते हैं जिसके चलते आज छत्तीसगढ़ में केवल कागजों पर ही अच्छी शिक्षा की व्यवस्था है अगर हम वास्तविकता पर नजर डाले तो छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था अपाहिज नजर आता है।

अब देखना यह होगा कि खबर चलने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर इस छोटे से गांव के 105 मासूम छात्रों की आवाज सुनकर क्या निर्णय लेती हैं और इनके भविष्य को देखते हुए यहां कब तक शासकीय प्राथमिक शाला स्कूल भवन निर्माण कराती हैं या फिर इन सभी बातों को नजरअंदाज करके छत्तीसगढ़ सरकार केवल मौन बैठे हुए नजर आते हैं सवाल तो बहुत है मगर जवाब एक भी नहीं।
छत्तीसगढ़ स्टेट हेड पप्पू यादव की खास रिपोर्ट

नेताओं के झूठे दावे विधायकों का गोल मटोल जवाब, ग्राम प्रमुख के बहाने

छत्तीसगढ़-चुनाव के समय नेताओं के झूठे दावे, चुनाव के बाद विधायकों का गोल मटोल जवाब व ग्राम प्रमुख के बहाने और इन तीनों के काले कारनामों पर पर्दा डालने वाले घूसखोर अधिकारी इन सभी के कारनामों के चलते आज ग्राम पंचायत डोमाडिह गांव पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है जहां ग्राम पंचायत डोमाडिह गांव अपनी बदहाल जर्जर सड़कों की हालतो के चलते खून के आंसू रोने को मजबूर है जिस पर ना तो नेताओं की नजर पड़ती है और ना ही अधिकारी इस मामले में शुद्ध लेते हैं ग्राम पंचायत डोमाडीह के ग्रामीण बार-बार अधिकारी व क्षेत्रीय विधायक के सामने अपनी समस्या लेकर जा रहे हैं उनको अपनी समस्या बता रहे हैं लेकिन दलाल अधिकारी और भ्रष्टाचारी नेता इनकी बातों को अनसुनी कर दे रहे।

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जहां इन दलाल अधिकारी और भ्रष्टाचारी विधायक व झूठे दावे करने वाले नेताओं के चलते आज जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे से गांव अपनी बदहाल सड़कों की जर्जर स्थिति के चलते हर रोज खून के आंसू रोने के मजबूर हैं।कैसे बदहाल जर्जर सड़कों की हालत के चलते हर रोज लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं कैसे बरसात के दिनों में मजबूर होकर लोग घुटने भर कि कीचड़ से पैदल चलने को मजबूर हैं गौर से देखिए इस नजारे को यह नजारे जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव डोमाडिह का जहां सड़क है कि गड्ढे समझ नहीं आ रहा है।
जी हां आपने तो अपने जीवन में अद्भुत दृश्य तो देखा ही होगा जहां एक साथ बहुत सारे तालाब देखे होंगे परंतु आज हम आपको एक ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाने वाले हैं जहां सड़कों के हर कदम पर आपको तालाब नजर आएगी और इन्हीं पर चलका लोग

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अपने गांव से आवागमन करने को मजबूर रहते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव डोमाडिह की जहां एक अनोखा नजारा आपको ग्राम पंचायत के प्रमुख रास्ते में देखने को मिलेगा जहां बरसात के दिनों में हर 2 फुट के दायरे में आपको एक तालाब देखने को मिल जाएगा और इसी तालाब को अपना रास्ता बना कर लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर चलने को मजबूर हो रहे हैं जहां आजादी के 74 साल बाद भी सड़कों की स्थिति नहीं सुधरी और ना ही यहां आने जाने के लिए पक्की सड़के बनाई गई है जिसके चलते आज ग्राम पंचायत डोमाडिह गांव अपनी बदहाल जर्जर सड़कों की हालत के चलते खून के आंसू रो रहा है जहां हर रोज लोग जर्जर सड़कों की हालत के चलते दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं अपनी जान गवा रहे हैं फिर भी प्रशासन मौन नजर आ रहे हैं।हम आपको बता देना चाहते हैं कि बरसात के दिनों में ग्राम पंचायत डोमाडिह के कच्ची सड़कों की हालत इतनी खराब हो जाती है कि लोगों को कई किलोमीटर तक घुटने भर के खिचड़ो में पैदल चलकर अपने गांव से बाहर आवागमन करने को मजबूर रहते हैं।

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दूसरी बड़ी बात यह है कि जब ग्रामीणों द्वारा इस जर्जर सड़कों की हालत को लेकर अधिकारी व क्षेत्रीय विधायकों को अवगत कराया जाता है तो उनके द्वारा केवल आश्वासन दिया जाता है आजादी के 74 साल बाद भी आज हमारे देश के नेता केवल जनता के सामने झूठे दावे करते नजर आ रहे हैं जिसके चलते आज एक छोटे से गांव का विकास नहीं हो पा रहा और इन्हीं नेताओं के काले कारनामों को छुपाने के चक्कर में दलाल अधिकारी ऐसे गांव का विकास भी रोक दे रहे हैं, जहां बार-बार ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने के बावजूद भी यहां की बदहाल सड़कों की स्थिति नहीं सुधरी जिसके चलते नेता और अधिकारियों ऊपर तो काफी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन इनके पास जनता को देने के लिए जवाब नहीं है।

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अब देखना यह होगा कि खबर चलने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे बदहाल सड़कों की हालत की स्थिति को देखते हुए क्या शुद्ध लेती है और कब तक इन सड़कों की हालत को सुधार देता हैं या फिर आम जनता की आवाज को यूं ही नजरअंदाज करके छत्तीसगढ़ सरकार भी मौन बैठे रहेगा व आम जनता को यूं ही अपनी बदहाल स्थिति में मरने के लिए छोड़ देगा सवाल तो बहुत है मगर जवाब एक भी नहीं

छत्तीसगढ़ स्टेट हेड पप्पू यादव की खास रिपोर्ट।