Category Archives: स्वास्थ

कहीं आपको कोरोना तो नहीं, रखे इन खास बातों का ख्याल

 

कोरोना संक्रमण का कहर तेजी के साथ फैलने लगा है और उससे भी तेजी के साथ लोग इस वायरस की चपेट में आ रहे है, ऐसे में जरूरत हैं सतर्कता के साथ समझदारी से काम लेने की. कोरोना के लक्षण दिखने पर सेल्फ आइसोलेशन में रहना ही बेहतर विकल्प है. घर में सुरक्षित रहें और जब तक वैद्यकीय सलाह की जरूरत न हो तब तक किसी भी कारण से बाहर न निकलें. और अगर आप किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाते है तो भी बिना घबराए खुद को आइसोलेट कर लें और डॉक्टर की सलाह की मदद से काम करें।

आइसोलेशन पीरियड की अवधि-

आइसोलेशन पीरियड कम से कम 14 दिनों के लिए होना चाहिए तो वहीं इस बीच घर के बाकी सदस्यों से दूरी बना कर रखे और सोशल नेटवर्क के जरिए ही अपने परिवार के लोगों और दोस्तो के संपर्क में रहे. आइसोलेशन पीरियड के दौरान अपने दीमाग को चुस्त रखना बेहद जरूरी हो जाता है ताकी आप आइसोलेशन के कठीन परिस्तिथि में डिप्रेशन जैसी की मानसिक समस्या का शिकार ना हो जाए, अक्सर अकेले में व्यक्ति की संकलप शक्ति कमजोर होने लगती है और बिमार व्यक्ति के मन में नाकारात्मक खयाल घर करने लगते हैं जिससे बचने के लिए आप खुद को आइसोलेशन पीरियड के दौरान साकारात्मक ऊर्जा की तरफ ध्यान दें, आप किताबे पढ़ कर खुद को व्यस्त रख सकते हैं या फिर आप सोशल नेटवर्क के जरिये आप दोस्तो के साथ प्रेरक उद्धरण यानि मोटिवेशनल कोट्स भी शेयर कर सकते हैं. ज्यादा से ज्यादा खुस रहने की कोशिश करें, अपना ध्यान साकारात्मक चीजों की तरफ लगाए साथ ही आप सांस से जुड़ी योग मुद्राए भी कर सकते हैं, इन से आपकी सेहत में तेजी के साथ सुधार आने की संभावना बढ़ जाती हैं।

आइसोलेशन के लिए कैसे चुने कमरा-

कोरोना के कारण घर पर ही आइसोलेशन का सुझाव दिया जा रहा हैं, कोरोना के लक्षण दिखने पर लोगों को घर पर ही क्वारंटाइन होने की सलाह दी जा रही हैं, साथ ही बढ़ते कोरोना संक्रमण के दौरान आप डॉक्टर से फोन पर वीडियो कॉल के जरिये सलाह ले सकते हैं. पर 14 दिन का आइसोलेशन व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल समय होता हैं ऐसे में घर की कोई ऐसी जगह या कमरा चुनें जहां वेंटिलेशन के लिए खुली खिड़कियां हों. दवाई, खाना या ग्रॉसरी आइटम्स की डिलीवरी के वक्त लोगों के साथ फेस टू फेस संपर्क में आए बिना ही आप सामान ले सके, घर के सदस्यों के साथ बर्तन, बिस्तर या तौलिये जैसा कोई भी जरूरी सामान साझा न करें, खांसते या छींकते वक्त मुंह पर रुमाल जरूर रखें, नाक या मुंह पर हाथ लगाने के बाद हाथों को अच्छे से सैनिटाइज करना बिल्कुल न भूलें, घर में भी मास्क पहनकर रहना जरूरी हैं, ऐसे हालात में अलग बाथरूम का इस्तेमाल करना अनिवार्य हैं, तो अगर आप शेयर्ड बाथरूम-टॉयलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कुछ बातों का खास ध्यान रखें. अपना तौलिया , टूथब्रश और गंदे कपड़े बिल्कुल अलग रखें, बाथरू का इस्तेमाल करने के बाद उसे हर बार अच्छे से साफ करें, कोशिश करें कि घर में संक्रमित व्यक्ति सबसे आखिर में बाथरूम का इस्तेमाल करे।

कोल्ड या फ्लू जैसे वायरस की तरह कोरोना में भी अपना ख्याल उसी तरह रखें, ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पेशाब का रंग पीलापन नजर नहीं आएगा, साथ ही आइसोलेशन के दौरान धूम्रपान बिल्कुल ना करें, एल्कोहल का सेवन तो बिल्कुल न करें, इससे आपकी बॉडी डिहाइड्रेट होगी और कोरोना पीड़ित मरीजों को खुद को हाइड्रेट रखने की जरूरत होती हैं, शराब के सेवन से लीवर पर बुरा असर पड़ता हैं और ऐसे समय में आपको ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे आपके लिवर पर बुरा असर पड़े।

डॉक्टर से संपर्क कब करें-
कोरोना वायरस के लक्षण कुछ लोगों में ज्यादा गंभीर दिखाई देते हैं. अगर ये लक्षण किसी व्यक्ति के शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं या तकलीफ दे रहे हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. आप अपने स्मार्ट फोन के जरिये डॉक्टर से वीडियो कॉल के जरिये संपर्क कर सकते हैं, किसी भी दवा का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर्स से परामर्श जरूर लें, डॉक्टर की सलाह लिए बीना कोई काम न करें और ना ही किसी दवाई का सेवन करें. आइसोलेशन और क्वारनटीन पीरियड खत्म होने से पहले डॉक्टर की मंजूरी जरूर लें. खासतौर से अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो तो डॉक्टर से नियमित रूप से सलाह लेते रहे. हालांकी सीडीसी जारी गाइडलाइंस के आधार पर आप सेल्फ आइसोलेशन छोड़ने का फैसला कर सकते हैं।

उपवास के वैज्ञानिक महत्व, स्वास्थ्य को लाभकारी होता है ‘व्रत’

 

भक्त और भगवान के बीच श्रद्धा का एक बेहद ही प्यारा सा रिश्ता होता है, भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए कई जतन भी करते है. अनेकों प्रकार के व्यंजन, कई प्रकार के रंग बिरंगे फूल, भगवान की मूर्ति के लिए सुंदर वस्त्र और इन सबके साथ उपवास या व्रत जहा भक्त दिनभर भूखा रह कर इश्वर की आराधना करता है।

आमतौर पर उपवास के दौरान व्यक्ति किसी निर्धारित समय के लिए पूर्णतया या कुछ खास भोजन और पानी का त्याग करता है, तो वहीं कभी-कभी व्यक्ति व्रत के दौरान पानी, फल या सिर्फ जूस का ही सेवन करता है. व्रत की अवधि एक दिन, एक हफ्ते या इससे अधिक भी हो सकती है पर उपवास न सिर्फ श्रद्धा और भक्ति से जुड़ा होता है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं, क्या आप जानते है की उपवास के कई प्रकार होते हैं,

उपवास के प्रकार, जैसे:- 

  • सुबह का उपवास – इस उपवास में सुबह का नाश्ता छोड़कर सिर्फ दो बार का खाना खाया जाता है।
  •  शाम का उपवास – इसमें रात को खाना नहीं खाया जाता है, बल्कि पूरे दिन में बस एक बार ही खाया जा सकता हैं.
  • जूस या रस का उपवास – इसमें व्यक्ति ठोस या भारी पदार्थों का सेवन नहीं करता है, इसमें व्यक्ति सिर्फ फलों के रस का सेवन करता है।
  • फलाहार उपवास – इसमें व्यक्ति सिर्फ फलों का सेवन कर सकता है, कुछ लोग तो निराहार-निर्जला उपवास भी रखते है और ये उपवास काफी कठिन होता है, क्योंकि इसमें न कुछ खाना होता है और न ही पीना होता है ।
  •  साप्ताहिक उपवास- इसमें लोग हर हफ्ते किसी एक दिन व्रत करने है।
  •  इंटरमिटेंट फास्टिंग-  ये उपवास आजकल काफी प्रचलन में हैं ये उपवास वजन कम करने के लिए किया जाता हैं, इसमें खाने का वक्त या पैटर्न बदला दिया जाता है और इसमें व्यक्ति एक-दो दिन छोड़-छोड़कर उपवास करता हैं या फिर एक वक्त के खाने को बंद या कम खा सकता है. जिस वक्त आप यह उपवास रख रहे हैं, उस वक्त आप कुछ ठोस खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं कर सकते, हां लेकिन पेय पदार्थ जैसे – जूस, कॉफी, चाय व पानी का सेवन किया जा सकता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी की बीमार होने के बाद उपवास को सबसे अच्छा इलाज माना गया है।

 

गुगल मैप करेगा अब आपके टीकाकरण में सहयोग जानिए कैसे

कोरोना के कहर बरपा रखा है लेकिन आपको बता दे कि जिस तरह मामले बढ़ रहे है चिंता की बात नही है क्युकी अगर आप खुद बचाव करेंगे तो बचाव से आपको ही फायदा है। राहत की बात ये है कि 16 जनवरी से दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हो चुका है। और लोगो को जागरुकता कार्यक्रम के तहत जागरुक किया जाा रहा है इसके लिए देश भर में वैक्सीनेशन केंद्र बनाए गए हैं।ताकि लोगों को आसानी से वैक्सीन की डोज दी जा सके।लेकिन गुगल ने अब एक नया पहल शुरु किया है। हर सवाल के आपको जबाव देने वाला गुगल अब मैप के जरिये किसी रास्ते में वैक्सीनेशन केंद्रों की जानकारी मिलेगी यानी कि आपके आस-पास वैक्सीनेशन कहां हो रहा, इसकी जानकारी आपको गूगल मैप्स देगा ।जिससे की मरीजों को आसानी हो।बताते चले कि भारत में इस समय रिकॉर्ड संख्या में हर दिन कोरोना केसेज मिल रहे हैं, इसके चलते लोगों में वैक्सीनेशन की मांग बढ़ गई है।जानकारी के लिए आपको बता दे की भारत में इस समय दो कोरोना वायरस वैक्सीन को भारतीय दवा नियामक से इमरजेंसी मंजूरी मिली है. इसमें पहला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का एस्ट्राजेनेका वैक्सीन है जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रो़ड्यूस कर रही है और एक स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन है जिसे हैदरबाद स्थित भारत बॉयोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की निगाहबानी में तैयार किया है। बता दे कि गूगल मैप्स के यूजर्स द्वारा ऐप पर वैक्सीनेशन सेंटर्स सर्च करने पर सभी नजदीकी सेंटर्स उनकी स्क्रीन पर दिखाए देंगे। यह ऐप यूजर्स को इसकी भी जानकारी देगा कि सेंटर खुला है या नहीं.वैक्सीनेशन को लेकर गूगल हरसंभव करेगा सहयोग।गूगल हेल्थ के चीफ हेल्थ ऑफिसर करेन डिसाल्वो का कहना है कि गूगल मैप्स के नए फीचर से लोगों को अपने नजदीक में वैक्सीनेशन केंद्र को खोजना आसान हो जाएगा और ऐप के जरिए वे केंद्रों तक पहुंचकर वैक्सीन की डोज लगवा सकेंगे। डिसाल्वो ने कहा कि इसके जरिए न सिर्फ नजदीकी वैक्सीनेशन केंद्र की जानकारी मिलेगी बल्कि पड़ोस में किस केंद्र पर वैक्सीन उपलब्ध है, इसकी भी जानकारी मिलेगी और वैक्सीनेशन केंद्र कितनी दूरी पर है, यह जान सकेंगे।डिसाल्वो का कहना है कि गूगल और इसके अन्य एप्लीकेशंस सभी को वैक्सीनेशन जैसे अहम टास्क को पूरा करने में अपनी हर संभव जिम्मेदारी निभाएगा.

कोरोना काल में बहुत लाभकारी है पीपल का पत्ता ,फायदे जानने के लिये पढ़िए पूरी खबर

भारत में जिस तरह से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। तो कही ना कही चिंता का विषय है ।बताते चले की ये आंकड़े बीते वर्ष के मुकाबले कही जाते ही है। जिससे की चिंता लोगो की बढ़ती जा रही है लेकिन घबराने की बात नही है। सबसे ज्यादा मामले कोरोना संक्रमितों में ऑक्सीजन की देखी गयी और आक्सीजन की ही कमी से कई लोगो की जान गई और ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए आप चाहे तो कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर कोरोना से जंग जीत सकते हैं।क्युकि कई मामलो में मरीज आक्सीजन के वजह से दम तोड़ देता है।आयुर्वेद की अगर बात करे तो कुछ वैध का कहना है कि प्रतिदिन दो पीपल के पत्ते का सेवन करने से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ सकता है।बता दे की रोजाना पीपल के दो पत्ते को चबाकर सेवन करना होगा । पीपल में मॉइस्चर कंटेंट, कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम के तत्व मौजूद होते हैं। जो आक्सीजन को बढ़ाने में मदद करते है। कोरोना सबसे ज्यादा फेफड़ों के रास्ते में सूजन और कसाव उत्पन्न करता है,गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न के साथ खांसी होता है लेकिन आप पीपल के पत्ते का सेवन कर इससे बच सकते हैं. पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं, जो ब्रोंकोस्पास्म पर प्रभावी असर दिखा सकता है. सांस के रोगियों को हर रोज पीपल के दो हरे पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके इस्तेमाल से आराम मिलता है. साथ ही पीपल के पत्ते ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में भी कारगर होते हैं। कोरोना काल में अगर आप कफ की समस्या से परेशान हैं।आपके लिए पीपल का पत्ता बढ़िया विकल्प हो सकता है। पीपल की पत्ती में थेरेपेटिक तत्व पाए जाते हैं। जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है। एक अन्य पीपल के पत्ते को जूस के रूप में इस्तेमाल करने से कफ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही आप पीपल के पत्ते को सुखाकर घी के साथ भी उपयोग कर सकते हैं।जानकारी के लिए आपको बता दे कि पीपल का पत्ता रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच हर व्यक्ति को रोग प्रतिरोधक क्षमता को पहले से ही इतनी मजबूत कर लेनी चाहिए कि संक्रमण हावी न हो सके। इसके लिए आप पीपल के पत्ते के साथ गिलोय के तने का मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण का सेवन दिन में चार बार करे। ऐसा निरंतर करते रहने से इम्यूनिटी बुस्ट होती है। आपको बता दे कि पीपल में लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया पाई जाती है. इसके अर्क का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है. इस लिए लीवर के रोगियों को प्रतिदिन सुबह में पीपल के दो पत्तों का सेवन करना चाहिए.।

ये गर्मियां नहीं आसान, जरूर अपनाएं ये समाधान

 

बदलते खान पान और मौसम के कारण ज्यादातर लोग बिमारियो की चपेट में तेजी के साथ आने लगे हैं, कई ऐसी बिमारिया है जिनका नाम भी हम में से कई लोगों ने पहली बार सुना होगा लेकिन आज वो अधिकतर आबादी को अपनी चपेट में ले चुकी हैं. सांस संबंधी समस्याएं भी उन्ही में से एक हैं जो मुख्य तौर पर गर्मियो में बढ़ जाती हैं।

अस्थमा यानि दमा श्वसन की एक ऐसी बीमारी है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती हैं इसके कारण श्वास नलियों में सिकुड़न और सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न और खांसी जैसी समस्‍याएं होने लगती हैं, हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अस्थमा सर्दियों का रोग हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं. अस्थमा की समस्या गर्मियों में सबसे ज्यादा बढ़ जाती हैं,  गर्मियो में हवा में नमी का स्तर कम होता है जिसके कारण गर्म हवा, धूल मिट्टी और प्रदूषण के कारण अस्थमा रोगियों के लिए दिक्कत खड़ी हो जाती हैं।

अस्थमा के कुछ मुख्य कारण-

गर्मियों में चलने वाली गर्म हवाओं के कारण सर्द-गर्म की शिकायत हो जाती हैं दरअसल, इस मौसम में ज़रा सी गर्मी लगने पर आप  एयर कंडीशन या कूलर जैसी सुविधाओं का प्रयोग करके शरीर को ठंडा रखते हैं और फिर कमरे से बाहर चले जाते हैं और इसी कारण तापमान में हुए इस बदलाव से सर्द गरम की समस्या होती है. वहीं, अगर आप अस्थमा रोगी हैं तो इससे आपको एलर्जी की समस्या हो सकती है, जोकि अस्थमा अटैक का कारण बनता हैं।

दूसरा मुख्य कारण मौसम में बदलाव के कारण सामने आता हैं, गर्मी के मौसम में बदलाव आते ही अस्थमा रोगियों की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं, डॉक्टरों के अनुसार, गर्मियों में अस्थमा अटैक का एक कारण सावधानी न बरतना होता हैं, बदलते मौसम में इंफेक्शन होने के कारण अस्थमा की समस्या भी बढ़ सकती हैं. धूल और प्रदूषण भी एक मुख्य कारण होता है जो सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देता है।

गर्मी के मौसम में धूल-मिट्टी ज्यादा उड़ती है, जिससे अस्थमा रोगी को एलर्जी हो जाती हैं इससे अस्थमा रोगी को कई दिक्कतों का सामना करना पडता हैं, इंफेक्शन के कारण अक्सर पल्यूशन से गले और नाक में संक्रमण हो सकता है, जिस कारण आप सांस ठीक से नहीं ले पाते, ऐसी स्थिति में अस्थमा रोगियों को आम व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं. तो वहीं बाहर से आते ही ठंडी चीजें खा लेना भी अस्थमा मरीजों के लिए हानिकारक होता हैं हालांकी, इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं होती हैं नियमित उपचार और परहेज करने पर आप अस्थमा को नियंत्रित कर सकते हैं।

अस्थमा से बचाव के उपाय-

  • रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन पदार्थ, फल और सब्जियों को शामिल करके  इससे बचा जा सकता है, साथ ही बाहर निकलते समय अपने मुंह पर कोई कपड़ा बांध कर निकले  ताकि धूल-मिट्टी से आपको सांस लेने में तकलीफ न हो, तो वहीं ऐसे मास्क का इस्तेमाल करे जो ज्यादा मोटे कपड़े का ना हो, क्लिनीकल मास्क का उपयोग करना बहतर रहेगा।

  • रोजाना दिन में 2 बार एक्सरसाइज करने से अस्थमा अटैक का खतरा 80 प्रतिशत तक कम हो जाता है, साथ ही पालक और गाजर के रस को मिलाकर रोजाना पीने से भी अस्थमा की समस्या दूर होती हैं।

  • पीपल के पत्ते भी अस्थमा की समस्या को दूर करने में लाभकारी होते है, पीपल के पत्ते  को सूखा कर जला लें. इसके बाद इसें छान इसमें शहद मिलाएं,  दिन में 3 बार इस मिश्रण का सेवन करने से अस्थमा की समस्या कुछ समय में ही दूर हो सकती हैं।

  • कॉफी का सेवन भी बेहद फायदेमंद माना जाता हैं, अस्थमा में कॉफी पीना अच्छा होता है लेकिन दिन में 2 बार से ज्यादा कॉफी का सेवन न करें।

  •  तुलसी की चाय या फिर 1 कप गर्म पानी में 2-3 पत्ते तुलसी के डालकर पीने से भी अस्थमा रोगी को फायदा मिलता है, इनका सेवन श्वसन के मार्ग को साफ करके सांस लेने की प्रक्रिया को आसान करता है।

इन गर्मियों में बढ़ सकती है सांस संबंधी समस्याएं

Breathing issues
गर्मियो में लोगों को त्वचा संबंधी समस्याएं होना तो आम बात है लेकिन गर्मियो में सांस संबंधी परिशानी भी ज्यादातर लोगों के लिए चिंता का विषय बन जाती है, ऐसे में जिन लोगों को अस्थमा की बिमारी उनके लिए गर्मिया किसी अग्निपरिक्षा से कम नहीं है ।

गर्मियों में सांस संबंधी समस्याओं के कारण –

बदलते खान पान और मौसम के कारण ज्यादातर लोग बिमारियो की चपेट में तेजी के साथ आ रहे है, कई ऐसी बिमारिया है जिनका नाम भी हम में से कई लोगों ने पहली बार सुना होगा लेकिन आज वो अधिकतर आबादी को अपनी चपेट में ले चुकी है, सांस संबंधी समस्याएं बी उनमें से एक है, जो मुख्य तौर पर गर्मियो में बढ़ जाती है।

अस्थमा यानि दमा श्वसन की एक ऐसी बीमारी है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है, इसके कारण श्वास नलियों में सिकुड़न और सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न और खांसी जैसी समस्‍याएं होने लगती हैं, हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अस्थमा सर्दियों का रोग है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, अस्थमा की समस्या गर्मियों में सबसे ज्यादा बढ़ जाती है, गर्मियो में हवा में नमी का स्तर कम होता है जिसके कारण गर्म हवा, धूल मिट्टी और प्रदूषण के कारण अस्थमा रोगियों के लिए दिक्कत खड़ी हो जाती है।

अस्थमा के कुछ मुख्य कारण- 

गर्मियों में चलने वाली गर्म हवाओं के कारण सर्द-गर्म की शिकायत हो जाती है दरअसल, इस मौसम में जरा सी गर्मी लगने पर आप एयर कंडीशन या कूलर जैसी चीज से शरीर को ठंडा रखते है.. और फिर कमरे से बाहर जाने पर तापमान में हुए इस बदलाव से सर्द गरम की समस्या होती है. वहीं, अगर आप अस्थमा रोगी है तो इससे आपको एलर्जी की समस्या हो सकती है, जोकि अस्थमा अटैक का कारण बनता है. दूसरा मुख्य कारण मौसम में बदलाव के कारण सामने आता है, गर्मी के मौसम में बदलाव आते ही अस्थमा रोगियों की दिक्कतें शुरू हो जाती है, डॉक्टरों के अनुसार, गर्मियों में अस्थमा अटैक का एक कारण सावधानी न बरतना है,बदलते मौसम में इंफेक्शन होने के कारण अस्थमा की समस्या भी बढ़ सकती है. धूल और प्रदूषण भी एक मुख्य कारण होता है जो सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देता है
गर्मी के मौसम में धूल-मिट्टी ज्यादा उड़ती है, जिससे अस्थमा रोगी को एलर्जी हो जाती है, इससे अस्थमा रोगी को कई दिक्कतों का सामना करना पडता है, इंफेक्शन के कारण अक्सर पल्यूशन से गले और नाक में संक्रमण हो सकता है, जिस कारण आप सांस ठीक से नहीं ले पाते,  ऐसी स्थिति में अस्थमा रोगियों को आम व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, तो वहीं बाहर से आते ही ठंडी चीजें खा लेना भी अस्थमा मरीजों के लिए हानिकारक होता है।

हालांकी, गर्मियों में घबराने की कोई जरूरत नहीं, नियमित उपचार और परहेज करने पर आप अस्थमा को नियंत्रित कर सकते हैं, रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन पदार्थ, फल और सब्जियों को शामिल करके इससे बचा जा सकता है, साथ ही बाहर निकलते समय अपने मुंह पर कोई कपड़ा बांध कर निकले ताकि धूल-मिट्टी से आपको सांस लेने में तकलीफ न हो, तो वहीं ऐसे मास्क का इस्तेमाल करे जो ज्यादा मोटे कपड़े का ना हो.. क्लिनीकल मास्क का उपयोग करना बहतर रहेगा, रोजाना दिन में 2 बार एक्सरसाइज करने से अस्थमा अटैक का खतरा 80 प्रतिशत तक कम हो जाता है..साथ ही पालक और गाजर के रस को मिलाकर रोजाना पीने से भी अस्थमा की समस्या दूर होती है।

पीपल के पत्ते भी अस्थमा की समस्या को दूर करने में लाभकारी होते है,  पीपल के पत्ते को सूखा कर जला लें, इसके बाद इसें छान इसमें शहद मिलाएं,  दिन में 3 बार इस मिश्रण का सेवन करने से अस्थमा की समस्या कुछ समय में ही दूर हो सकती है, कॉफी का सेवन भी बेहद फायदेमंद माना जाता है, अस्थमा में कॉफी पीना अच्छा होता है लेकिन दिन में 2 बार से ज्यादा कॉफी का सेवन न करें, इसके अलाव तुलसी की चाय या फिर 1 कप गर्म पानी में 2-3 पत्ते तुलसी के डालकर पीने से भी अस्थमा रोगी को फायदा मिलता है, इनका सेवन श्वसन के मार्ग को साफ करके सांस लेने की प्रक्रिया को आसान करता है।