उत्तराखण्ड। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान ने रैंणी गांव के ऊपर ऋषिगंगा के जलागम क्षेत्र रोंगथी में एक विशाल झील बनने का खुलासा किया है। संस्थान ने झील बनने की जानकारी राज्य सरकार और चमोली जिला प्रशासन को दे दी है। संस्थान के निदेशक के मुताबिक झील से पानी की निकासी भी नहीं हो रही है, जो खतरनाक हो सकता है।
वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद सांई ने बताया कि रैणी, तपोवन इलाके में आपदा के कारणों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने गई उनकी टीम ने झील बनने की जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि इस झील का आकार काफी बड़ा है। टूटने की स्थिति में झील खतरनाक हो सकती है।
डॉ. सांई ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों द्वारा झील बनने की जानकारी देने के बाद वाडिया की टीम ने ऋषिगंगा कैचमेंट का दुबारा हवाई सर्वे किया। सर्वे के दौरान रोंगथी ग्लेशियर क्षेत्र में यह झील देखी गई। हालांकि अधिक ऊंचाई होने के कारण अभी ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि झील में कितनी मात्रा में पानी है और इसकी लम्बाई व गहराई कितनी है।
झील का मुहाना बंद है और उससे पानी की निकासी नहीं हो रही है। झील के निचले हिस्से में पड़े रॉक मास से यह पता चल रहा है कि यह पूरी तरह से नया मलबा है जो आपदा आने के बाद का है। यदि झील का मुहाना इस स्थिति में एकाएक खुला तो एक बार फिर निचले इलाकों में मुश्किल हो सकती है। अभी ये कहना मुश्किल है कि झील हादसे से पहले से मौजूद थी या आपदा के बाद बनी है।