DESK : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे पर हमला करते हुए उन्हें खुली चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा कि उनका समर्थन करने वाले शिवसेना के 40 विधायकों में से एक भी अगर अगला चुनाव हार गया तो वह राजनीति छोड़ देंगे। यह बात उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कही है। शिंदे ने कहा, “कहा जा रहा है कि कोई भी बागी विधायक चुनाव नहीं जीते।
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लेकिन मैं कहता हूं कि कोई विधायक नहीं हारेगा। मैंने इसकी जिम्मेदारी ली है। अगर इनमें से कोई भी हारता है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।” उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, आप कौन होते हैं यह तय करने वाले कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा? यह सब लोगों द्वारा तय किया जाता है। मतदाता तय करते हैं।” इससे पहले उद्धव ने कहा था कि अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो विद्रोही हार जाएंगे।
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वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम बदलने के संबंध में लिया गया फैसला अवैध था, क्योंकि सरकार अल्पमत में थी और इसे कैबिनेट की अगली बैठक में फिर से मंजूरी दी जाएगी। उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार ने 29 जून को कैबिनेट की आखिरी बैठक में मध्य महाराष्ट्र में स्थित औरंगाबाद का नाम छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के नाम पर “संभाजीनगर’ करने की घोषणा की थी। इसके कुछ घंटे बाद ही ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शिंदे ने अगले दिन 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
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शिंदे ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने कई दशक पहले औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का ऐलान किया था। औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगज़ेब के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा, “पहले से ही संभाजीनगर नाम है। हम कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी देंगे, जो इस फैसले को कानूनी तौर पर सुरक्षित करेगा।” शिंदे ने यह भी कहा कि उन्होंने शिवसेना के नेतृत्व के खिलाफ बगावत पार्टी और इसके कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए की।
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उन्होंने कहा, “ तीन दलों के गठबंधन वाली सरकार में हमारा मुख्यमंत्री होने के बावजूद हमें राजनीतिक रूप से कुछ नहीं मिला। हम नगर पंचायत चुनाव में चौथे स्थान पर रहे।” वह शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एवं कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे। शिंदे ने दावा किया कि राज्य के लोगों ने विद्रोह करने के उनके फैसले को स्वीकार किया है, क्योंकि यह राज्य के हित में था।