गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को गोरखपुर के एनेक्सी भवन सभागार में 179 करोड़ रूपये की पर्यटन संवर्धन योजना का शुभारंभ किया। यह योजना प्रदेश की 373 विधानसभाओं के लिए है।
इस मौके पर अपने संबोधन में सीएम योगी ने कहा कि कल उनकी सरकार के 4 साल पूरे हो गए हैं। उन्होंने प्रदेशवासियों का आभार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से प्रदेश के 373 विधानसभाओं में पर्यटन संवर्धन योजना के अंतर्गत कार्यों का आज से शुभारंभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों को पर्यटन के साथ जोड़कर रोजगार सृजित करें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक साथ 180 करोड़ रूपये की लागत से पर्यटन संवर्धन योजना के तहत जीर्णोद्धार का कार्यक्रम शुरू हो रहा है। कहीं पर धार्मिक और अन्य पर्यटन से जुड़ा हुआ है, जिसे जनप्रतिनिधियों ने प्रस्ताव के माध्यम से प्रस्तुत किया है। सीएम योगी ने कहा कि विकास आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
उन्होंने कहा कि चार वर्ष की इस कार्य अवधि में उत्तर प्रदेश ने इस बात को साबित किया है कि पर्यटन भी विकास का एक माध्यम है। राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पर्यटन केवल धार्मिक दृष्टि से लोगों की आस्था का सम्मान करने तक सीमित नहीं है। पर्यटन हमारे रोजगार सृजन और प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने का माध्यम भी है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रयास से काशी में काशी विश्वनाथ कारिडोर निर्माण के साथ जुड़ रहा है। काशी की पहचान काशी विश्वनाथ से है। 1916 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बीएचयू के उद्घाटन के लिए गए। वहां पर काशी विश्वनाथ दर्शन करने गए, तो सकरी गलियां और गंदगी देखकर तीखी टिप्पणी की थी। उनका ऑडियो आज भी मौजूद है।
इसके अलावा सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या एक नए रूप में दुनिया के सामने वैश्विक स्तर तक पहुंच चुका है। काशी, अयोध्या के बाद मथुरा और वृंदावन में भी ऐसे ही विकास हुआ है। संतकबीरनगर में संतकबीर पीठ की स्थापना हुई है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरखनाथ बाबा पर शोध पीठ की स्थापना हुई है। ऐसे ही अलग-अलग जगहों पर कार्य करने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। रामायण सर्किट, कृष्णा सर्किट, बौद्धा सर्किट, जैन तीर्थ, आध्यात्मिक और शक्तिपीठ का केंद्र उत्तर प्रदेश है। उन्होंने कहा कि काशी में चढ़ने वाले फूल फेंके नहीं जाएंगे। इससे इत्र, अगरबत्ती और अन्य चीजें भी बन सकती हैं।