दिल्ली और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं. जिसमें हरियाणा में इसी साल यानी 2024 के आखिर में चुनाव होना है, तो वहीं दिल्ली में 2025 की शुरुआत में जनता वोट डालकर सरकार चुनेगी. लेकिन इन दोनों ही राज्यों में सत्ता की लड़ाई त्रिकोणिय होने जा रही है. सत्ता की लड़ाई बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के होगी. यानी जिस इंडिया गठबंधन के जरिए राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल मोदी के खिलाफ एकजुट हुए थे, उसी इंडिया गठबंधन में दरार दिखाई दे रही है. मतलब ये की दोनों ही राज्यों में कांग्रेस और आप एकला चलो की नीति पर चलने जा रही है.
कांग्रेस और आप ने की बड़ी गलती
थोड़ा पीछे चले और लोकसभा चुनाव के रिजल्ट को देखे तो कांग्रेस और आप के बीच आई दूरी की वजह पता चलती है. लोकसभा के वक्त दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, दिल्ली की बात करें तो आप ने 4 सीट पर और कांग्रेस ने 3 पर चुनाव लड़ा, वहीं हरियाणा में कांग्रेस ने 9 सीट पर तो आप ने 1 सीट पर चुनाव लड़ा था, यानी सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत दोनों पार्टियों ने अपनी अपनी किस्मत को आजमाया था. दिल्ली कि बात करें तो दोनों ही पार्टियों को मुंह की खानी पड़ी थी, यहा बीजेपी ने क्लिन स्वीप किया था. लेकिन हरियाणा में कांग्रेस ने कमाल कर दिखाया था, कांग्रेस ने 5 सीटे जीती थी. 5 सीट पर जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस का जोश हाई दिखाई दे रहा है और इसी वजह से वो विधानसभा में अकेले लड़ने का मन बना रही है.
कांग्रेस पार्टी साफ कर चुकी है कि वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी.
कांग्रेस पार्टी साफ कर चुकी है कि वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी ऐलान कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन की नीति पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा. फिलहाल कांग्रेस को ये लग रहा है कि हरियाणा में बीजेपी कि लोकप्रियता कम हुई है, और उसकी बढ़ी है. इसलिए उसका अकेले चुनाव लड़ना फायदे का सौदा होगा. लेकिन कांग्रेस ये भूल रही है कि अब उसे सिर्फ बीजेपी के खिलाफ नहीं लड़ाना, उसकी लड़ाई आम आदमी पार्टी के साथ भी होगी.
हरियाणा की तरह ही दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच चुनाव होने जा रहा है. दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के मुखर होकर बोल रहे है कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन की जररूत नहीं है. पार्टी की दिल्ली इकाई के नेता साफ कहते है कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी के वोट काटने थे इसलिए गठबंधन जरूरी था लेकिन विधान सभा में ऐसी कोई जरूरत नहीं है. वहीं दिल्ली में अपनी मजबूती को देखते हुए आम आदमी पार्टी भी गंठबंधन के मूड में नहीं है. ऐसे में जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को पहले सिर्फ बीजेपी के खिलाफ लड़ना था वहीं अब उन्हें एक दूसरे के खिलाफ भी लड़ना है, जो बीजेपी के लिए फायदेमंद रहेगा.