लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने उन्नाव में दो किशोरियों की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को हर पहलू को ध्यान में रखकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने बताया कि स्थानीय पुलिस छह टीमों का गठन कर मामले की जांच कर रही है। एडीजी लखनऊ जोन और आइजी लखनऊ रेंज को मामले के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी गई है।
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि एक बच्ची का उपचार कानपुर के अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों ने इसे सस्पेक्टेड केस आफ पॉइजनिंग बताया है। जिन दो किशोरियों की मृत्यु हुई है, उनके शवों का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल से कराया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। उनके शरीर पर मृत्यु से पूर्व की कोई चोट तथा कोई बाहरी चोट नहीं पाई गई है। डॉक्टरों ने विसरा सुरक्षित किया है। फोरेंसिक विशेषज्ञों के जरिये विसरा का अन्वेषण कराया जा रहा है। घटना की जांच में भी फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। सभी संभावनाओं की जांच कराई जा रही है।
वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आइजी रेंज लखनऊ लक्ष्मी सिंह ने दावा किया है कि दोनों को एक तरह का जहरीला पदार्थ दिया गया था। जहर की आशंका पर विसरा को केमिकल एनालिसिस (रासायनिक विश्लेषण) के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया है। दोनों के शरीर पर कहीं चोट के निशान नहीं मिले हैं। गंभीर हालत में मिली तीसरी किशोरी का इलाज कानपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। उसकी हालत नाजुक बनी है। उसका इलाज मुख्यमंत्री कोष से कराने की घोषणा की गई है। उधर, परिजनों की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 302 हत्या व 291 साक्ष्य छिपाने की रिपोर्ट दर्ज की है।
बता दें कि उन्नाव जिले के असोहा क्षेत्र के एक गांव में बुधवार रात खेत में दो किशोरियों के शव के साथ एक किशोरी अचेत अवस्था में मिली थी। बुधवार रात से गुरुवार तक परिजन के बयान बदलते रहे। परिजन कल तक हाथ-पैर बंधे होने की बात कह रहे थे, जो अब इंकार कर रहे हैं। इसके अलावा गांव के कई लोगों को हिरासत में लेकर घटना के संबंध में जानकारी ली गई। एक किशोरी के पिता को कुछ देर हिरासत में रखे जाने पर सपाइयों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया।