किसान आंदोलन का 34वां दिन आजः पटना में किसानों ने निकाला मार्च तो पुलिस ने किया लाठीचार्ज
कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहा है। पटना में आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से मार्च निकाला जा रहा है। यह मार्च राजभवन तक निकाला जाएगा।
नई दिल्ली। किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। केंद्र और किसानों के बीच होने वाली 7वें दौर की वार्ता कल यानी 30 दिसंबर को तय हुई है। इस बीच पटना से लेकर दिल्ली तक किसान सड़क पर उतर आए हैं और नए कृषि काननों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज
पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से राजभवन तक निकाले जा रहे मार्च को पुलिस ने रोक दिया है। इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया है।
पटना में निकाला मार्च
कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहा है। पटना में आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से मार्च निकाला जा रहा है। यह मार्च राजभवन तक निकाला जाएगा।
बिहार: पटना में लेफ्ट पार्टियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। pic.twitter.com/N3pNbCCQy5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 29, 2020
शरद पवार से मिले किसान नेता
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से संयुक्त किसान मोर्चा के महाराष्ट्र से जुड़े किसान नेताओ ने मुलाकात की। ये किसान नेता सिंघु बॉर्डर और पलवल पर प्रदर्शन में शामिल हैं और सरकार के साथ वार्ता में भी हिस्सा ले चुके हैं। किसान नेताओ के मुताबिक, पवार ने किसान नेताओ ने कहा कि अगर 30 तारीख तक हल नहीं निकाला तो तमाम विपक्ष की पार्टियों के साथ बैठक कर किसानों के पक्ष में खड़े रहेंगे।
जवाबी रणनीति पर जुटी केंद्र सरकार
केंद्र सरकार किसान आंदोलन को लेकर जवाबी रणनीति पर जोरशोर से जुटी है। 25 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और नए कृषि कानूनों पर अपना समर्थन जताया। मोदी सरकार इसके जरिए ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि नए कानूनों पर उसे देशभर के किसानों का समर्थन हासिल है और चंद राज्यों के किसान संगठन ही राजनीतिक शह पर विरोध कर रहे हैं।
आंदोलन का आज 34वां दिन
सरकार का प्रस्ताव मिलने पर किसानों ने साफ कहा है कि वो कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर ही चर्चा करेंगे। दरअसल 26 दिसंबर को किसानों ने सरकार को 4 शर्तों पर बातचीत का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पहली शर्त यही है कि तीनों कृषि कानून खारिज करने की प्रक्रिया पर सबसे पहले बात हो। अपनी मांगों के साथ किसान 34वें दिन भी दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं।