नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख, सियाचीन और कश्मीर जैसे बर्फीले इलाकों में ठंड से जूझने वाले भारतीय सेना के जवानों की सुरक्षा के लिए DRDO ने एक खास उपकरण विकसित किया है। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन ने इस विकसित उपकरण को हिम तापक का नाम दिया है। यह उपकरण ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जवानों के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखेगा।
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि इन डिवाइस को बनाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ठंड के दौरान जवानों की बैकब्लास्ट और कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता से मौत न हो। डॉ. वार्ष्णेय ने बताया कि अंतरिक्ष ताप उपकरणों में तीन अन्य सुधार भी किए गए हैं, क्योंकि तेल की खपत लगभग आधी हो गई है। इससे केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को प्रति वर्ष लगभग 3,650 करोड़ रुपये की कुल बचत होगी।
इसके अलावा उन्होने बताया कि DRDO ने अत्यंत ठंडे सीमा क्षेत्रों में जवानों को शीत दंश व बिवाई व ठंड के कारण होने वाली अन्य समस्याओं से बचाने के लिए ‘एलोकल क्रीम‘ भी तैयार किया है।