नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा नियमों में बदलाव के बाद कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से आंशिक या पूर्ण निकासी करना आसान और तेज हो गया है। सब्सक्राइबर्स ऑनलाइन माध्यम से अपने ईपीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकते हैं। ईपीएफओ ने कर्मचारी को जोब छोड़ देने के एक महीने के बाद ईपीएफ फंड से 75 फीसद तक की राशि की निकासी की अनुमति प्रदान की है। अगर कोई कर्मचारी दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहता है, तो वह अपने ईफीएफ खाते की 100 फीसद राशि की निकासी कर सकता है। ईपीएफ खाते से निकासी करने से पहले आपको कई सारी बातें ध्यान रखनी चाहिए। आइए जानते हैं कि ये क्या हैं।
1. अगर कर्मचारी ने पांच साल साल की सेवा अवधि पूरी नहीं की है, तो ईपीएफ राशि से निकासी पर कर लगता है।
2. अगर आपने अपना ईपीएफ खाता पुराने नियोक्ता से ट्रांसफर किया है, तो टैक्स के लिए कुल सेवा अवधि की गणना में पुरानी सेवा अधवि भी जुड़ेगी।
3. अगर निकासी के वर्ष में सेवा की कुल अवधि पांच साल से कम है, तो निकासी की राशि पर कर लगेगा।
4. ध्यान रखें कि ईपीएफ अकाउंट की राशि चार भाग में होती है। कर्मचारी का योगदान, नियोक्ता का योगदान और दोनों के योगदानों पर लगने वाले ब्याज।
5. अगर निरंतर रोजगार की अवधि पांच साल से कम है, तो ईपीएफ में नियोक्ता का योगदान और उस पर मिलने वाला ब्याज आयकर रिटर्न में ‘आय’ श्रेणी के तहत करयोग्य होगा।
6. अगर निकासी पांच साल की सेवा अवधि से पहले होती है और आपने आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत योगदान पर छूट का दावा किया है, तो कर्मचारी का स्वयं का योगदान भी ‘salary’ श्रेणी के तहत कर योग्य होगा।
7. पांच साल से पहले निकासी की स्थिति में, ईपीएफ में ग्राहक के स्वयं के योगदान पर प्राप्त ब्याज पर ‘अन्य स्रोतों से आय’ श्रेणी के तहत कर लगाया जाएगा।