नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि बिल के खिलाफ देशभर में किसानों का विरोध प्रदर्शन तेजी से हो रहा है। जहां बीते दिनों देश की राजधानी दिल्ली में हिंसा जैसी घटनाएं देखने को मिली तो वहीं दूसरी तरफ विदेशी ताकतें देश को तोड़ने में कोई कसर नही छोड़ रही है ऐसे में विपक्ष दल भी रोटियां सेकने से पीछे नहीं हट रहा है। वहीं इस बीच जानकारी के मुताबिक कहा जा रहा है कृषि कानून के विरोध में 26 जनवरी को दिल्ली में निकाली गई ‘ट्रैक्टर रैली के दौरान रूट बदलने वाले दो संगठनों को संयुक्त किसान मोर्चा ने निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही इन दोनों किसान संगठनों के खिलाफ जांच के लिए कमेटी भी बनाई गई है।
रणनीति पहले से तैयार थी ?
जांच कमेटी इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी कि दोनों किसान संगठनों के पदाधिकारी रास्ता भटक गए थे या फिर रणनीति पहले से तैयार थी । वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने यह भी साफ किया है कि भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मोर्चा से बातचीत किए बिना ही आंदोलन की रणनीति बदली और यूपी व उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने का फैसला लिया।
कुंडली बॉर्डर पर शनिवार शाम को पंजाब के 32 किसान संगठनों की जगह केवल 14 संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसके बाद पंजाब किसान यूनियन के रूलदू सिंह मानसा, भाकियू क्रांतिकारी के दर्शनपाल, जमहूरी किसान के रघुवीर सिंह समेत अन्य ने चक्का जाम की सफलता से लेकर आंदोलन की अगली रणनीति जल्द बनाए जाने की बात कही।
वहां किसान नेताओं ने बताया कि भाकियू क्रांतिकारी सुरजीत फूल गुट के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल व आजाद किसान कमेटी के हरपाल सिंह सांगा को अभी निलंबित किया गया है। रुलदू सिंह मानसा ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि ट्रैक्टर परेड के दौरान जितने भी संगठन के लोग अन्य रूट पर गए थे, उनके खिलाफ कमेटी जांच कर रही है और इसलिए ही अभी उनको निलंबित किया गया है।