उत्तर प्रदेश

गोरखपुर :  5 महीने की मासूम को गोद में लेकर टिकट काटने को मजबूर हैं महिला बस कंडक्टर  

उत्‍तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर डिपो में बस परिचालक के पद पर तैनात हैं शिप्रा दीक्षित

गोरखपुर। एक ओर जहां सरकार मिशन शक्ति और महिलाओं को सशक्‍त बनाने के लिए महिला सशक्‍तीकरण जैसे अभियान चला रही है। वहीं, अधिकारियों की खुमारी के आगे एक मां बेबस बन गई है। मृतक आश्रित कोटे से चार साल पहले बस परिचालक की नौकरी पाने वाली शिप्रा दीक्षित कोरोना और कड़ाके की ठंड के बीच पांच माह की मासूम को गोद में लेकर गोरखपुर से पडरौना के बीच हर रोज 165 किलोमीटर बस में सफर करने के साथ टिकट काटने को मजबूर हैं।

बता दें कि शिप्रा दीक्षित गोरखपुर के मालवीय नगर की रहने वाली हैं। शिप्रा उत्‍तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर डिपो में बस परिचालक के पद पर तैनात हैं। मृतक आश्रित कोटे से सीनियर एकाउंटेंट पिता पीके सिंह की जगह उनको परिचालक की नौकरी साल 2016 मेंमिली है। शिप्रा दीक्षित फिजिक्‍स विषय से केमेस्‍ट्री से एमएससी हैं। उनकी मानें तो उन्‍हें उनकी योग्‍यता के मुताबिक पद नहीं मिल पाया और न ही प्रमोशन ही मिल पा रहा है। उन्‍हें मजबूरीवश नौकरी ज्‍वाइन करनी पड़ी।

उत्‍तर प्रदेश परिवहन निगम गोरखपुर के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक केके तिवारी ने कहा कि परिचालक का काम परिचालन का काम करना होता है। उनके यहां छह माह का प्रसूति अवकाश मिलता है जो कि शिप्रा गुजार चुकी हैं।  उन्‍होंने बताया कि उनके यहां चाइल्‍ड केयर लीव का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि उनकी परेशानी को देखते हुए उनके प्रार्थना पत्र को आगे बढ़ाया जाएगा फिर उपर से जो निरदेश मिलेगा उसके अमुसार काम किया जाएगा।

 

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