संसद के बजट सत्र से ठीक एक दिन पहले. भारतीय जनता पार्टी की मदऱ आर्गेनाइजेशन यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. ये फैसला ऐसा है जिससे देश में सभी राजनैतिक पार्टियों के बीच हलचस पैदा कर दी है. दरअसल सरकार ने RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी दशकों पुरानी रोक को हटा दिया है. मोदी सरकार के इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारी भी संघ के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे. 1966 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने यह बैन लगाया था. अब 58 साल बाद इसे रद्द किया गया है.
9 जुलाई, 2024 को सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश में कहा
RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के हिस्सा लेने के संबंध में ये आदेश जारी किया जा रहा है. जिसमें लिखा है कि समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970, और 28 अक्टूबर 1980 को जारी हुए सरकारी आदेशों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम हटा दिया जाए. BJI IT सेल हेड अमित मालवीय ने भी खुद इस फैसले की जानकारी दी एक्स पर दी.
उन्होंने लिखा- ‘साल 1966 में यानी 58 साल पहले जारी असंवैधानिक आदेश जिसमें RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसे मोदी सरकार द्वारा वापस ले लिया गया है. इस आदेश को पहले ही पारित नहीं किया जाना चाहिए था. वहीं दूसरी ओर केंद्र की मोदी सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध जताया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस संबंध में X पर अपने पोस्ट में लिखा कि फरवरी 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया. 1966 में RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था.
4 जून, 2024 के बाद प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है. 9 जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया, जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भी लागू था. मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है.
बता दें कि 1966 और 1970 में सरकारी कर्मचारियों के RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक संबंधी आदेश जारी हुए थे. इसके बाद 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो इन आदेशों को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जब 1980 में इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं तो पुराने आदेश फिर प्रभावी कर दिए गए थे.