नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने 2020-21 के दौरान एक साल में 6,015 रूट किलोमीटर (आरकेएम) कवर करने वाले सेक्शनों का विद्युतीकरण किया है। यह अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। कोविड महामारी के बावजूद यह 2018-19 में हासिल पिछले उच्चतम आकंड़े 5,276 आरकेएम को पीछे छोड़ दिया है।
2020-21 के दौरान मुश्किल वक्त में 6000 किलोमीटर से अधिक के विद्युतीकरण परियोजना को पूरा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की उपलब्धि लेकर यह भारतीय रेलवे के लिए गर्व का क्षण है। भारतीय रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा सुरक्षित बनता जा रहा है। भारतीय रेलवे का नवीनतम ब्रॉड गेज नेटवर्क 63,949 रूट किलोमीटर (आरकेएम) है।
कोंकण रेलवे के 740 किलोमीटर के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 64,689 आरकेएम हो जाता है। 31.03.2021 तक इसमें से 45,881 आरकेएम यानी 71 फीसदी का विद्युतीकरण हो चुका है। हालिया वर्षों में आयातित पेट्रोलियम आधारित ऊर्जा पर राष्ट्र की निर्भरता को कम करने और देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए परिवहन के पर्यावरण अनुकूल, तेज एवं ऊर्जा कुशल मोड प्रदान करने की दृष्टि से रेलवे विद्युतीकरण पर बहुत जोर दिया गया है।
पिछले सात वर्षों (2014-21) के दौरान 2007-14 की तुलना में पांच गुणा से अधिक विद्युतीकरण किया गया है। 2014 के बाद रिकॉर्ड 24,080 आरकेएम (मौजूदा ब्रॉड गेज मार्गों का 37 फीसदी) का विद्युतीकरण किया गया, जबकि 2007-14 के दौरान 4,337 आरकेएम (मौजूदा ब्रॉड गेज मार्गों का 7 फीसदी) का विद्युतीकरण किया गया था।
अब तक विद्युतीकृत 45,881 आरकेएम में से 34 फीसदी विद्युतीकरण का काम केवलपिछले तीन वर्षों में किया गया। इसके अलावा भारतीय रेलवे ने पिछले सर्वश्रेष्ठ 42 की तुलना में 2020-21 के दौरान रिकॉर्ड 56 टीएसएस (ट्रैक्शन सब स्टेशन) बनाए हैं। कोविड महामारी के बावजूद इसमें 33 फीसदी का सुधार है। पिछले सात वर्षों के दौरान कुल 201 ट्रैक्शन सब स्टेशन बनाए गए हैं।
इन रेल लाइनों का हुआ विद्युतीकरण
- मुंबई-हावड़ावाया जबलपुर
- दिल्ली-दरभंगा-जयनगर
- गोरखपुर-वाराणसी वाया औंड़िहार
- जबलपुर-नैनपुर-गोंडिया-बल्लारशाह
- चेन्नई-त्रिची
- इंदौर-गुना-ग्वालियर-अमृतसर
- दिल्ली-जयपुर-उदयपुर
- नई दिल्ली-न्यू कूचबिहार-श्रीरामपुर असम वाया पटना और कटिहार
- अजमेर-हावड़ा
- मुंबई-मारवाड़
- दिल्ली-मुरादाबाद-टनकपुर
भारतीय रेलवे ने दिसंबर, 2023 तक अपने मार्गों को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने की योजना बनाई है। वहीं 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अपने विद्युत भार को प्राप्त करसंपूर्ण रेल विद्युतीकरण “नेट जीरो” उत्सर्जन के लक्ष्य में योगदान देगा।