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बिहार का श्रवण कुमार : मां-बाप को कांवर मे बैठा कराई देवघर यात्रा, सभी ओर हो रही चर्चा…

कहते है 'बुलंद इरादों से लिखते है हम तकदीर अपनी हमारे किस्मत हाथ की लकीरों की मोहताज नही...

DESK : कहते है ‘बुलंद इरादों से लिखते है हम तकदीर अपनी हमारे किस्मत हाथ की लकीरों की मोहताज नही…सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और ना ही कोई पुजा है।’ जी हां हम बात कर रहे है जहानाबाद के रहने वाले चंदन कुमार की जो कलियुग में श्रवण कुमार बनकर अपने मांं और पिता को कांवर मे बैठाकर तीर्थ कराने निकला। सुलतानगंज गंगा घाट पर गंगा स्नान के बाद अपने माता पिता को कांवर मे बैठाकर चन्दन और उसकी पत्नी रानी देवी बाबा भोलेनाथ की नगरी देवघर के लिए निकले हैं।

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मौके पर मौजूद सभी लोग यह नजारा देख हैरान रह गए। वहीँ कुछ पुलिस जवानों ने सहारा देकर कांवर उठाने में मदद भी करते दिखे। आपको बता दें कि बाबाधाम देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक जो देवघर में है। झारखंड के देवघर में स्थित इस मनोकामना ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है

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यह सिलसिला रोजाना सुबह 4 बजे से शुरू होता है जो रात 10 तक चलता रहा है। गौर हो कि बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा से लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबाधाम तक 108 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में यह एशिया का सबसे लंबा मेला माना जाता है।

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माता पिता को लेकर देवघर जा रहे मैनें गांव में सबके सामने अपने माता पिता को श्रवण कुमार की तरह बाबा धाम ले जाने की बात कही थी। इस मनोकामना को पूरा करने के लिए निकला हूं। हालांकि माता पिता इसके लिए राजी नहीं थी। वहीं चंदन की पत्नी रानी ने बताया कि उनकी मनोकामना पूरी हो गई है, इसलिए अपने सास ससुर को लेकर बाबा धाम जा रहे हैं।

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