उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की तरफ से माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद सूबे के सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म नजर आ रहा है. क्यों अखिलेश यादव का ये एक ऐसा फैंसला है जिसकी उम्मीद ना के बराबर ही थी. लेकिन अब अखिलेश के इस फैसले पर विपक्ष की प्रतिक्रिया आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए सोमवार यानी 29 जुलाई को BSP सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश पर निशाना साधा है. उन्होंने PDA यानी को पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को केवल वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल किए जाने और गुमराह करने की बात कही।
BSP सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश पर निशाना साधा
दरअसल, अपने सोशल मीडिया एक्स के हैंडल से बसपा मुखिया मायावती ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए एक पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने कहा, ‘सपा मुखिया ने लोकसभा आमचुनाव में खासकर संविधान बचाने की आड़ में यहाँ PDA को गुमराह करके उनका वोट तो जरूर ले लिया, लेकिन यूपी विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने में जो इनकी उपेक्षा की गई, यह भी सोचने की बात है.
बहनजी ने सपा के संग संग बीजेपी पर भी बड़ा आरोप लगते हुए आगे कहा कि, ‘सपा में एक जाति विशेष को छोड़कर बाकी PDA के लिए कोई जगह नहीं। ब्राह्मण समाज की तो कतई नहीं क्योंकि सपा व भाजपा सरकार में जो इनका उत्पीड़न व उपेक्षा हुई है वह किसी से छिपा नहीं। वास्तव में इनका विकास एवं उत्थान केवल BSP सरकार में ही हुआ। अतः ये लोग ज़रूर सावधान रहें।’ तो बहनजी साफ साफ कह रही हैं कि भैय्या ब्राह्मण का विकास सिर्फ बसपा की सरकार के दौरान ही हुआ है,
आपको बतादें कि 29 जुलाई से यूपी विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो चुका है इससे पहले मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में सपा ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर दिया है।
उत्तर प्रदेश के हालिया लोकसभा चुनाव में PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) कार्ड से परचम लहराने वाले अखिलेश यादव ने बीते् रविवार को बड़ा फैसला लेते हुए सबको चौंका कर रख दिया था. उन्होंने विधानसभा में पहली बार किसी अगड़े को कमान सौंपा है। दरअसल, उन्होंने इस बार माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया है।
बड़ा फैसला लेते हुए अखिलेश यादव ने सबको चौंका कर रख दिया
हालांकि, इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की ये कमान अखिलेश यादव के पास थी। मगर फिर कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने करहल से सदस्यता और विधानसभा से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली कर दी। इसके बाद से ही इस पद के लिए नए चेहरे को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। नेता प्रतिपक्ष के लिए दलित चेहरे के तौर पर इंद्रजीत सरोज का नाम सबसे आगे था। लेकिन, अखिलेश ने सात बार के विधायक माता प्रसाद पांडेय पर अपना भरोसा जताया। इसी के साथ राज्यसभा चुनाव में पाला बदलने वाले मनोज पांडेय की जगह कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक बनाया गया है, जबकि आर.के. वर्मा को उपसचेतक की जिम्मेदारी दी गई है।
अब अगर इतिहास देखा जाए तो वर्ष 1993 में स्थापना के बाद से ही विधानसभा में सात बार सपा के पास नेता प्रतिपक्ष का ओहदा रहा है। जिसमें दो बार मुलायम सिंह यादव, एक-एक बार धनीराम वर्मा, आजम खान, शिवपाल सिंह यादव, रामगोविंद चौधरी और अखिलेश यादव के पास कमान रही। यानी चार बार सैफई परिवार ने नेता प्रतिपक्ष के पद पर खुद को आसीन रखा। वहीं, अगर जातीय लहजे से देखें तो सात बार में पांच बार यादव, एक बार मुस्लिम और एक बार कुर्मी चेहरे को एसपी ने नुमाइंदगी दी थी। जिसके बाद अब पार्टी के इतिहास में पहली बार किसी अगड़े को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का ओहदा दिया गया है।
सियासी जानकारों का मानना है कि पांडेय दो बार विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसलिए, वह संसदीय अनुभवों में सबसे भारी है। साथ ही पार्टी को विधानसभा में बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने सहित कई और कानूनी लड़ाई भी लड़नी है, ऐसे में इटवा से विधायक माता प्रसाद का अनुभव अखिलेश के बहुत काम आ सकता है।