नई दिल्ली। भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का प्रहार लगातार जारी है। केंद्र की तरफ़ से संसद में रखी गई जानकारी में ये बात सामने आई है। सरकार ने संसद को बताया है कि जुलाई 2014 से दिसंबर 2020 तक यानी बीते छह साल में 340 बड़े अधिकारियों को भ्रष्टाचार, अनियमितता या फिर अक्षमता के चलते जबरन रिटायर किया गया है।
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को एक लिखित जवाब में बताया कि सीसीएस (पेंशन) नियमों से जुड़े नियम एफआर 56 (जे) और समान नियमों के तहत केंद्र से जुड़े ग्रुप ‘ए’ के 171 और ग्रुप ‘बी’ के 169 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। मतलब ये है कि इन अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है। गौर करने वाली बात ये भी है कि इसमें से कई अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी यानी आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं।
नियम एफआर 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार, अनियमितता और अक्षमता के लिए अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है। उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है यानी नौकरी से हटाया जा सकता है। उच्च स्तर पर की गई इस कार्रवाई को मोदी सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति के रूप में देखा जा रहा है।