देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. एक तरफ बीजेपी ने 400 पार का नारा बुलंद कर रखा है तो वहीं विपक्ष रोजगार को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है. ऐसे में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में 51.40 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है यानी हर साल 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में 19.79 करोड़ रोजगार सरकारी योजनाओं के जरिए पैदा हुए जबकि 31.61 करोड़ रोजगार सरकार की लोन-आधारित योजनाओं के कारण पैदा हुए हैं.इस रिपोर्ट को विस्तार से आपको बताएं उससे पहले आप इस वीडियो को लाइक और आर्या ट्रेड टॉक को सब्सक्राइब कर लें.
घरेलू शोध संस्थान स्कॉच की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में 51.40 करोड़ रोजगार मिले हैं। SKOCH की रिपोर्ट “Employment Generative Impact of Modi Nomics: The Paradigm Shifts” के मुताबिक
साल 2014 से 2024 के बीच सालाना कम से कम 5.14 करोड़ पर्सन पर ईयर्स रोजगार पैदा हुए।पर्सन पर ईयर इस बात का पैमाना होता है कि किसी व्यक्ति ने पूरे साल कितने घंटे काम किया। रिपोर्ट के मुताबिकपिछले 10 साल में 19.79 करोड़ रोजगार सरकारी योजनाओं के जरिए पैदा हुएजबकि 31.61 करोड़ रोजगार सरकार की लोन-आधारित योजनाओं के कारण बने।
यह रिपोर्ट 80 केस के रिसर्च पर आधारित है। इसमें सरकार की विभिन्न योजनाओं के आंकड़ों और लोन लेने वाले लोगों को शामिल किया गया है।
स्कॉच ग्रुप के चेयरमैन और रिपोर्ट के लेखक समीर कोचर ने इस रिपोर्ट के बारे में बताया कि इस स्टडी के लिए हमने क्रेडिट वाली योजनाओं और सरकारी योजनाओं को शामिल किया। क्रेडिट वाली योजनाओं ने सालाना 3.16 करोड़ रोजगार पैदा किए जबकि सरकारी योजनाओं से 1.98 करोड़ रोजगार पैदा हुए। यह रिपोर्ट कई साल की मेहनत से तैयार की गई है और इससे साबित होता है कि 2014 से शुरू की गई कई सरकारी योजनाओं से बड़ी संख्या में रोजगार पैदा हुए हैं। इस स्टडी में केंद्र सरकार की 12 योजनाओं को शामिल किया गया था।
इनमेंमनरेगा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और शहरी, दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, RSETI, ABRY, PMEGP, SBM-G, PLI और पीएम स्वनिधि योजना शामिल हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रो लेंडिंग का यूज स्थिर और टिकाऊ रोजगार सृजन के लिए किया जा रहा है। एक कर्ज राशि पर औसतन 6.6 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए हैं। पिछले नौ साल में क्रेडिट गैप में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसने क्रेडिट गैप में कटौती, बहुआयामी गरीबी में कमी और एनएसडीपी में वृद्धि के बीच एक सकारात्मक संबंध भी दिखाया है। स्कॉच ग्रुप सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर काम करने वाला एक स्थानीय शोध संस्थान है। यह पिछले कई सालों से देश में समावेशी विकास यानी इनक्लूजिव ग्रोथ की दिशा में काम कर रहा है।