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मध्यप्रदेशः कांग्रेस विधायकों के 15 ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी, 450 करोड़ की अघोषित संपत्ति बरामद

प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) आरके पालीवाल ने कहा कि विभाग की यह कार्रवाई मध्य प्रदेश की बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से भी जानकारी दी गई है। मामले में जांच जारी है।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के बैतूल से कांग्रेस विधायक निलय डागा और उनके परिवार से संबंधित कंपनियों पर आयकर विभाग के 15 ठिकानों पर छापेमारी कार्रवाई की। इसमें अघोषित संपत्ति का बड़ा आंकड़ा सामने आया है। 18 फरवरी से जारी विभाग की कार्रवाई में सोमवार शाम तक 450 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित संपत्ति का पता चला। नौ बैंक लॉकर भी मिले हैं, जिनकी पड़ताल की जा रही है। अघोषित संपत्ति में बड़ी राशि शेल कंपनियों के जरिये निवेश कर अर्जित की गई है।

आयकर विभाग का यह छापा प्रदेश की बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। आयकर विभाग ने बैतूल स्थित सोया प्रोडक्ट्स मैन्यूफैक्चरिंग ग्रुप के मध्य प्रदेश के बैतूल और सतना, महाराष्ट्र के सोलापुर और मुंबई और बंगाल के कोलकाता में एक साथ कार्रवाई की थी। इस दौरान आठ करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। कंपनी के कर्ताधर्ता इस नकदी के बारे में जानकारी नहीं दे सके। इसे जब्त कर लिया गया है।

आठ करोड़ रुपये नकद और 44 लाख से अधिक की विदेशी मुद्रा भी बरामद इसके अलावा 44 लाख रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा भी बरामद की गई है। इसके अलावा 259 करोड़ रुपये की आय विभिन्न कंपनियों के शेयर में निवेश के माध्यम से प्राप्त करना बताया गया, लेकिन ये कोलकाता स्थित शेल कंपनियां (निवेश के लिए कागजों पर संचालित कंपनियां) थीं। 90 करोड़ रुपये की बिक्री भी कोलकाता स्थित शेल कंपनियों के माध्यम से कर आय होना बताया गया। आयकर विभाग की कार्रवाई की जद में आई कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने जिन कंपनियों को यह बिक्री करना बताया था, उनका अस्तित्व बताए गए पतों पर नहीं मिला। इसके साथ ही अघोषित संपत्ति में 52 करोड़ रुपये के बारे में पता चला है।

कंपनी की ओर से दावा किया गया था कि यह उनका मुनाफा है, लेकिन जांच में सामने आया कि यह लाभ जिन कंपनियों के जरिये होना बताया गया था, उनमें से कई कर्मचारियों के नाम से हैं। इनके बीच हुए लेनदेन का जो ब्योरा दिया गया, वह भी प्रमाणित नहीं हो सका। इन कंपनियों को जिनके नाम से चलाया जा रहा था, उन्हें इससे संबंधित हुए लेनदेन की जानकारी ही नहीं थी। साथ ही 27 करोड़ रुपये की आमदनी शेयर बेचकर होना बताया गया। हालांकि शेयरों की खरीदी-बिक्री कोलकाता स्थित शैल कंपनियों के जरिये की गई।

प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) आरके पालीवाल ने कहा कि विभाग की यह कार्रवाई मध्य प्रदेश की बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से भी जानकारी दी गई है। मामले में जांच जारी है।

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