Mumbai: कंधार विमान अपहरण कांड की गुत्थी सुलझाने वाली मुंबई पुलिस को नहीं मिला घोषित इनाम
श्रीश उपाध्याय/मुंबई
कंधार विमान IC814 अपहरण कांड की गुत्थी सुलझाने वाली मुंबई पुलिस को रू 5 लाख का इनाम देने की घोषणा तो की गई लेकिन आज तक उस इनाम की राशि मुंबई पुलिस को मिली ही नहीं है. इस बात की जानकारी पूर्व एन्काउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने एक साक्षात्कार के दौरान दी है.
प्रदीप शर्मा ने बताया कि IC 814 विमान अपहरण की पूरी तैयारी मुंबई से की गई थी. दिसम्बर 1999 की बात है. शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को सूचना मिलीं थी कि एक मोबाइल नंबर की. उन्होंने उस मोबाइल नंबर को अपने आला अधिकारी को दी और मुझे तत्कालीन क्राइम ब्रांच उपायुक्त प्रदीप सावंत ने उस मोबाइल नंबर की जांच की जिम्मेदारी दी थी. हमें बताया गया कि अब्दुल लतीफ नामक व्यक्ति उस मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा है. हम लोगों को नंबर सुनने पर उनके ठिकाने का ठीक ठीक पता नहीं चल पाता था. एक दिन अचानक सुबह 5 बजे उस मोबाइल पर पाकिस्तान से फोन आया. हमने कॉल सुना तो उसमे किसी मस्जिद से अजान की आवाज आ रही थी. गाय और भैस के चिल्लाने की भी आवाज आ रही थी. तो हमने समझा कि तबेला और मस्जिद आसपास थे. इस आधार पर जोगेश्वरी इलाके की रेकी की गई. मोबाइल को और सुना तो पता चला कि अब्दुल लतीफ किसी मस्जिद में गया है, वहां किसी से रुपये ले रहा है. अब्दुल को हमने जोगेश्वरी में चिन्हित किया और धर दबोचा. थोड़ा पुलिसगिरी दिखाते ही वह टूट गया और अब्दुल ने बताया कि उसने कुछ आतंकियों को जोगेश्वरी स्थित एक चाल में रखा है. वो हमें लेकर उस जगह गया जहां आतंकी छिपे हुए थे. उस समय मेरे साथ दया नायक, ज्ञानेश देवरे, प्रकाश भंडारी और दो अन्य पुलिसकर्मी थे. हमारे पास सिर्फ सर्विस रिवाल्वर थी. हमने छापा मारा तो आतंकियों ने डर कर आत्मसमर्पण कर दिया. हमें उनके पास से दो AK 47, AK56, 6- 7 पिस्तौल, विस्फोटक, डेटोनेटर, हैंड ग्रेनेड मिले थे. हमने सभी को गिरफ्तार कर लिया.
प्रदीप शर्मा ने कहा कि- गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ के बाद मालूम हुआ कि जो विमान अपहृत हुआ है उसके अपहरणकर्ताओं का पासपोर्ट इन्हीं लोगों ने मुंबई पासपोर्ट कार्यालय से बनाया था. विमान अपहरणकर्ता भी पहले उनके साथ मुंबई में ही थे. पूरी अपहरण की योजना मुंबई में बनाई गई थी. इन आतंकियों ने मुंबई की एक बैंक लूटी थी जिससे उन्हें 6- 7 लाख रुपए मिले थे. बैंक से भागते समय उन्होंने बैंक के वॉचमैन का पहचान पत्र छीन लिया था. उसी पहचान पत्र के सहारे ड्राइविंग लाइसेंस और फिर बाद मे मोबाइल सीम लिया गया था. गिरफ्तार आतंकियों ने विमान में मौजूद अपहरणकर्ताओं की फोटो हमें दी. उसी फोटो के आधार पर अपहरणकर्ताओं की पहचान हो सकीं थी. हमारे ऑपरेशन के बाद ही अपहृत विमान के अपहरणकर्ताओं की पहचान हुई थी. आतंकियों से यह भी जानकारी मिली थी कि वे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी पर हमला करने वाले थे. आतंकियों की योजना मुंबई से ही विमान अपहरण करने की थी लेकिन यहां की बेहतरीन सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्होंने नेपाल से विमान अपहरण की योजना बनाई.
प्रदीप शर्मा ने यह भी बताया कि आतंकियों के पकड़े जाने के बाद तत्कालीन गृहमंत्री मंत्री छगन भुजबल ने हमारी यूनिट को रू 5 लाख पारितोषिक की घोषणा की थी.
हंसाते हुए प्रदीप शर्मा ने कहा – हालाकि वह पारितोषिक आज तक मिला नहीं है.